एंटरप्रेन्योर्स के लिए आनंद महिंद्रा क्यों मिसाल बन जाते हैं? महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन की क्या खासियत है, जो उन्हें खबरों का हिस्सा भी बनाती है, साथ ही उन्हें और उनकी कंपनी को भी हमेशा सुर्खियों में रहती है. ये खासियत है आनंद महिंद्रा का सोशल मीडिया के साथ-साथ जमीनी तौर पर भी एक्टिव होना. हाल ही में उन्होंने हरियाणा के एक मोची को मार्केटिंग का मास्टर करार देते हुए एंटरप्रेन्योर बना दिया.
'जूतों का अस्पताल' नाम से अपनी छोटी-सी दुकान चलाने वाले नरसीराम के लिए आनंद अब मॉडर्न डिजाइन वाली चलती-फिरती दुकान दे रहे हैं. ये पहला मौका नहीं है. पिछले 1 साल में उन्होंने 3 ऐसे आम, लेकिन 'अलग' लोगों की मदद की है, जिन्हें मेनस्ट्रीम मीडिया में कवरेज भी मिली और उनकी जिंदगियां भी बदली हैं. ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर आनंद महिंद्रा को इसका जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला.
मई, 2017 स्कॉर्पियो वाला ऑटो
ट्विटर पर 67 लाख फॉलोअर वाले आनंद महिंद्रा को यूं तो हजारों लोग टैग करते हैं, लेकिन मार्केटिंग के इस 'मास्टर' को पता है कि कौन-सा आइडिया क्लिक करने वाला है. मार्च, 2017 में एक शख्स ने ट्विटर पर आनंद महिंद्रा को टैग करते हुए एक ऑटो की तस्वीर डाली. ऑटो की खासियत ये थी कि उसे पीछे से महिंद्रा स्कॉर्पियो जैसा लुक दिया गया था.
अपनी कंपनी की गाड़ी के लिए ऐसी दीवानगी आनंद महिंद्रा को भा गई. उन्होंने जवाब में कहा कि वो इस ऑटो को अपने म्यूजियम के लिए खरीदना चाहते हैं. करीब 2 महीने के भीतर ही केरल के रहने वाले उस ऑटो ड्राइवर को ढूंढा गया और उसे ब्रांड न्यू स्कॉर्पियो दे दी गई. आनंद महिंद्रा ने इसे ट्विटर पर शेयर किया, जिसे जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला था.
दिसंबर, 2017, बोलेरो पर फूड ट्रक
मैंगलोर की रहने वाली शिल्पा साल 2015 से ही फूड ट्रक चलाती हैं. महिंद्रा की गाड़ी बोलेरो को वो मोडिफाई कर फूड ट्रक के तौर पर इस्तेमाल करती हैं. शिल्पा के इस कारोबार के बारे में भी आनंद महिंद्रा को ट्विटर से ही जानकारी मिली, जब उन्हें पता चला कि शिल्पा अपना व्यवसाय बढ़ाना चाहती हैं. आनंद महिंद्रा ने ट्विटर पर ही लोगों से उनकी जानकारी मांगी और शिल्पा के व्यवसाय में मदद के लिए महज 5 हफ्ते के भीतर ही एक नई बोलेरो दे डाली.
मई 2018, जख्मी जूतों के डॉक्टर
इस साल अप्रैल में आनंद ने एक ट्वीट पर बताया कि उन्हें एक तस्वीर वॉट्सऐप पर मिली है, जिसमें 'जख्मी जूतों के हस्पताल' का बोर्ड लगाकर एक शख्स मोची का काम करता है. आनंद हरियाणा के नरसीराम मोची के आइडिया पर फिदा हो गए. साथ ही उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) को इस मोची से मार्केटिंग सीखने की सलाह दे डाली.
1 महीने के भीतर ही उनकी टीम ने नरसीराम से संपर्क किया और उनके लिए चलती-फिरती दुकान को डिजाइन करने की तैयारी शुरू हो गई. आनंद महिंद्र ने नरसीराम की दिनचर्या और उनकी दुकान की कई तस्वीरें साझा की हैं.
इस 'कहानी' से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में शुमार महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा लोगों को ये बता रहे हैं कि आज के दौर में सबसे बड़ी चीज है आइडिया. अगर कोई यूनिक आइडिया आपके प्रोडक्ट की बेहतरीन मार्केटिंग कर लोगों का ध्यान खींचने में कामयाब हो रहा हो, तो फिर सफलता आपसे कब तक मुंह चुरा सकती है? और हां इसका दूसरा पक्ष एडवरटाइजमेंट पर करोड़ों खर्च करने वाली बड़ी कंपनियों के लिए है, वो मिस्टर महिंद्रा से ये 'अलग' टेक्नीक सीख सकते हैं.
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