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Video| राफेल में SC के आदेश से अपने जाल में उलझी सरकार: अरुण शौरी

अरुण शौरी आखिर में पूछते हैं कि क्या ये सरकार आंख मूंदकर फाइल साइन करती है?

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अरुण शौरी का मानना है कि राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सरकार को उसके ही जाल में उलझा दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से दस दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में राफेल की कीमत और ऑफसेट पार्टनर सिलेक्ट करने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी मांगी है. अरुण शौरी के मुताबिक इसका कुछ ना कुछ नतीजा जरूर आएगा.

क्विंट से खास बातचीत में अरुण शौरी ने कहा कि राफेल डील को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट की 'चादर' से ढक लेना 'बकवास' है.

अरुण शौरी ने कहा:

सरकार को जिस प्रक्रिया का पालन करना है, वो पूरी प्रक्रिया डिफेंस मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर है. ऐसे में नेशनल सिक्योरिटी की बात कहां से आ गई?
अरुण शौरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री

शौरी कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के पास जब पूरा ब्योरा आ जाएगा, तब कोर्ट ये तय करेगा कि कौन-सी चीजें लोगों से छिपा ली गई हैं, जो उन्हें मालूम होनी चाहिए थी.

क्या डील की कीमत गोपनीय है?

पूर्व केंद्रीय मंत्री बताते हैं कि 31 अक्टूबर को सरकार ने ये भी कहा कि डील की कीमतें भी गोपनीय हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि अगर ऐसा है, तो सरकार एफिडेविट दे कि कीमतें गोपनीय हैं.

शौरी का मानना है कि अगर सरकार ऐसा करती है, तो उसके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी, क्योंकि पहले ही कई बार सरकार के मंत्री कीमतें बता चुके हैं. वो पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का उदाहरण देते हैं कि पर्रिकर ने ऐलान किया था कि 126 प्लेन 90 हजार करोड़ के आएंगे. यानी 715 करोड़ रुपये हर प्लेन की कीमत होगी.
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शौरी लोकसभा में दिए गए एक जवाब का भी उदाहरण देते हैं, जिसमें सरकार की तरफ से बताया गया था कि हर प्लेन की कीमत 670 करोड़ होगी. वहीं रिलायंस और दसॉ ने अपनी सालाना रिपोर्ट में भी कीमतों का खुलासा किया, जिसमें कहा गया था कि एक प्लेन की कीमत 670 करोड़ नहीं, बल्कि 1660 करोड़ है.

अब सुप्रीम कोर्ट ने ‘असली’ कीमतों का ब्योरा मांगा है. शौरी का कहना है कि सरकार अब ऐसा तो नहीं कह सकती कि उसे CJI पर ही ट्रस्ट नहीं है.
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डिफेंस एक्सपर्ट को पता होता है स्पेसिफिकेशन का ब्योरा?

मैं तो ये कहता हूं कि स्पेसिफिकेशन को छिपाना भी बकवास है, क्योंकि हर एक डिफेंस एक्सपर्ट को ये बातें पता होती हैं, क्योंकि राफेल सिर्फ भारत को ही नहीं, इजिप्ट, कतर और दूसरे देशों को भी मिल रहा है. चीन-पाकिस्तान सबको पता है, तो आप छिपा किससे रहे हैं? हिंदुस्तान के लोगों को तो ये पता होना चाहिए.
अरुण शौरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री

ये कोई खुफिया चीज नहीं है?

शौरी का कहना है कि अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बनाने का फैसला सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट में भारी पड़ेगा. उन्‍होंने कहा, ''रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण तो इस बात से ही इनकार करती हैं कि वो दसॉ के ऑफसेट पार्टनर को जानती हैं. लेकिन ऑफसेट पार्टनर गाइडलाइन ये तय करती है कि सरकार को पार्टनर से लेकर हर एक चीज की जानकारी होती है. बिना उसकी जानकारी के कॉन्ट्रैक्ट संभव ही नहीं हो सकता.''

अरुण शौरी आखिर में पूछते हैं कि क्या ये सरकार आंख मूंदकर फाइल साइन करती है?

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