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अयोध्या राजनीति: चुनावों में भगवा दल ही रहा है यहां की पसंद

बीजेपी ने अयोध्या से नौ बार जीत हासिल की है, जबकि पांच बार दूसरी पार्टियों के विधायक चुने गए.

Published
भारत
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मुल्क की चुनावी माहौल पर गहरा असर डालने वाले तमाम घटनाक्रमों की गवाह बनी अयोध्या की जनता ने अब तक हुए ज्यादातर चुनावों में भगवा दल को ही चुना है. अयोध्या के विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद साल 1967 में हुए पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ के बी. किशोर जीते थे.

तब से लेकर अब तक जनसंघ और फिर बीजेपी ने अयोध्या से कुल नौ बार जीत हासिल की है, जबकि पांच बार दूसरी पार्टियों के विधायक चुने गए.

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कांग्रेस तीन बार और जनता दल-समाजवादी पार्टी एक-एक बार अयोध्या सीट जीत चुकी है. आगामी छह दिसंबर को अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के 25 साल पूरे हो जाएंगे. छह दिसंबर 1992 की उस घटना के बाद अयोध्या पूरी तरह बीजेपी का गढ़ बन गयी.

बाबरी विध्वंस से पहले अयोध्या की राजनीति

साल 1967 में हुए विधानसभा चुनाव में जनसंघ के बी. किशोर ने निर्दलीय प्रत्याशी बी. सिंह को 4,305 मतों से हराया था. साल 1951 से 1977 तक अस्तित्व में रहा जनसंघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजनीतिक शाखा था. 1977 में ये कांग्रेस शासन का विरोध करने वाले कई वामपंथी, मध्यमार्गी और दक्षिणपंथी संगठनों में विलीन हो गया, जिसके परिणामस्वरुप जनता पार्टी का गठन हुआ.

साल 1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ. बहरहाल, साल 1969 के विधानसभा मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस अयोध्या में पहली बार जीती. उसके विश्वनाथ कपूर ने भारतीय क्रांति दल के राम नारायण त्रिपाठी को 3,917 मतों से हराया था. साल 1974 में ये सीट फिर भारतीय जनसंघ के खाते में आ गयी. उसके बाद 1977 के मध्यावधि चुनाव में यहां से जनता पार्टी के जयशंकर पाण्डेय ने कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल कुमार खत्री को हरा कर चुनाव जीता.

1980 में हुए मध्यावधि चुनाव में जनता ने कांग्रेस-इंदिरा के प्रत्याशी रहे खत्री को चुना. साल 1985 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां फिर परचम लहराया और पार्टी प्रत्याशी सुरेंद्र प्रताप सिंह ने जनता पार्टी के जयशंकर पाण्डेय को हराया. साल 1989 में बीजेपी को यहां से फिर हार का सामना करना पड़ा. उसके प्रत्याशी लल्लू सिंह को जनता दल के जयशंकर पाण्डेय ने 9,073 वोटों से हराया.

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बाबरी विध्वंस के बाद अयोध्या बन गया बीजेपी गढ़

बीजेपी ने अयोध्या से नौ बार जीत हासिल की है, जबकि पांच बार दूसरी पार्टियों के विधायक चुने गए.
बाबरी मस्जिद
(फोटो: यू-ट्यूब)

छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद यह क्षेत्र बीजेपी का गढ़ बन गया और लल्लू सिंह साल 1993, 1996, 2002 और 2007 में यहां से विधायक चुने गए. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सिंह फैजाबाद से सांसद भी चुन लिए गए. उनके क्षेत्र में अयोध्या भी आती है.

2012 के विधानसभा चुनाव में सपा की लहर के दौरान उसके प्रत्याशी तेज नारायण पाण्डेय उर्फ पवन पाण्डेय ने लल्लू सिंह को हरा कर बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा दी. हालांकि इस साल हुए विधानसभा चुनाव में वेद प्रकाश गुप्ता ने पवन पाण्डेय को परास्त कर दिया और अयोध्या सीट पर फिर बीजेपी का कब्जा हो गया.

प्रदेश की मौजूदा योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयोध्या को पहली बार नगर निगम का दर्जा दिया और पिछले दिनों हुए चुनाव में यहां से बीजेपी के प्रत्याशी ने ही जीत दर्ज की.

ये भी पढ़ें- अयोध्या विवाद पर सुनवाई शुरू, क्या है जनता के मन की बात

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