अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराये जाने की 25वीं सालगिरह से एक दिन पहले 5 दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट अंतिम सुनवाई शुरू कर दी है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की तीन जजों वाली पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. अयोध्या के स्थानीय लोगों ने इस पर अपनी अलग-अलग उम्मीदें जताई है.
अयोध्या के स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस बार ये विवाद निपट जाएगा. दोनों पक्ष सहमति से मान जाएंगे और राम मंदिर बनेगा. लेकिन कुछ लोगों का ये भी कहना है कि इस फैसले में और भी देरी हो सकती है, क्योंकि राजनेता इस मामले में घुसे हुए हैं.
साल 2010 में भी हमारे पक्ष में निर्णय आया था और आगे भी हमारे पक्ष में ही फैसला आएगा. इस विवाद के सारे तथ्य हमारे पक्ष में है. तो हमारे पक्ष में ही सुप्रीम कोर्ट निर्णय सुनाएगी.शरद शमा, नेता, विश्व हिंदू परिषद
कोर्ट सबूतों के आधार पर फैसला करती है. आस्था से कोई मतलब नहीं होता है. पूरी दुनिया को मालूम है कि यहां से मस्जिद तोड़ दी गई थी. तो कोर्ट हमारे पक्ष में ही फैसला सुनाएगी.पक्षकार, अयोध्या विवाद
सुप्रीम कोर्ट में चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई शुरू कर दी है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था.
उत्तर प्रदेश के सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड ने विवाद के समाधान की पेशकश करते हुए कोर्ट से कहा था कि अयोध्या में विवादित स्थल से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है. हालांकि, शिया वक्फ बोर्ड के इस हस्तक्षेप का अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विरोध किया.
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