उत्तर प्रदेश के रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के बेटे और विधायक अब्दुल्ला आजम खान को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, रामपुर पुलिस ने एक मदरसे से चोरी हुई किताबों के मामले में मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी पर छापा मारा था और जांच की थी. इसी जांच में बाधा पहुंचाने के आरोप में पुलिस अब्दुल्ला आजम को पूछताछ के लिए ले गई है.
बता दें कि अब्दुल्ला आजम ने 2017 में स्वार विधानसभा सीट से एसपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता था.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के मदरसा औलिया ने शिकायत की थी कि मदरसे की कई किताबें चोरी हो गई हैं और वो किताबें आजम खान के मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी में हैं. इसके बाद मंगलवार को पुलिस प्रशासन ने यूनिवर्सिटी पर छापा मारा था. इस दौरान मदरसा आलिया से चुराई गई किताबें मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी से बरामद की गईं.
आजम खान इस यूनिवर्सिटी के प्रमुख ट्रस्टी हैं. वहीं अब्दुल्ला आजम यूनिवर्सिटी के सीईओ हैं, इसलिए पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है.
अब्दुल्ला आजम पर पहले से ही कई मामले दर्ज
अब्दुल्ला आजम पर पहले से ही कई मुकदमे दर्ज हैं. मंगलवार को भी पासपोर्ट के कागजातों में फर्जीवाड़े के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी. ये एफआईआर भारतीय जनता पार्टी के नेता आकाश सक्सेना ने दर्ज कराई है.
आकाश सक्सेना ने अब्दुल्ला के खिलाफ सिविल लाइंस कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. रिपोर्ट के कहा गया है कि अब्दुल्ला आजम ने गलत दस्तावेज पेश कर पासपोर्ट बनवाया था.
पुलिस ने बताई मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी पर छापे मारने की वजह
‘‘हमें आलिया मदरसा के प्रिंसिपल की तरफ से शिकायत मिली थी, जिसके मुताबिक उनके मदरसे से कई किताबेें और पांडुलिपी चोरी हुई हैं. इस मामले में छानबीन करते हुए जौहर यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में छापा मारा गया है. चोरी की कई किताबें मिल गई हैं और जांच जारी है. जो किताबें हमें मिली हैं, उनकी जानकारी देने में लाइब्रेरी का स्टाफ असफल रहा. कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है.’’अजय पाल शर्मा (एसपी रामपुर)
यूनिवर्सिटी पर मंडरा रहे कई खतरे
आजम खान की यूनिवर्सिटी पर कई तरह के खतरे मंडरा रहे हैं. हाल ही में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़ी 7 हेक्टेयर यानी करीब 140 बीघा जमीन की लीज को रद्द करने का आदेश दिया है. ये जमीन समाजवादी पार्टी की सरकार के वक्त आजम को 30 साल के लीज पर मिली थी. कोर्ट ने पाया कि ये जमीन नदी की है और नियमों को ताक पर रखकर आजम को दी गई थी.
इससे पहले 26 किसानों ने भी आजम खान पर जबरदस्ती जमीन कब्जा करने का केस दर्ज कराया था.
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