कोरोना वायरस की दवाई को लेकर विवाद में आए बाबा रामदेव प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि हमने कोरोना के बारे में क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल का डाटा देश के सामने रखा तो एक तूफान सा उठ गया. उन ड्रग माफिया, मल्टीनेशनल कंपनी माफिया, भारतीय और भारतीयता विरोधी ताकतों की जड़ें हिल गईं. कुछ लोगों ने मेरे जाति, धर्म पर सवाल उठाए, लोगों को मुझसे दिक्कत हो सकती है, लेकिन कोरोना के मरीजों से क्या दिक्कत है. रामदेव ने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने गंदा माहौल बनाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि मेडिकल साइंस के प्रोटोकॉल के तहत काम किया.
आयुष मंत्रालय को हमारे ट्रायल की पूरी जानकारी थी, रिसर्च के लिए सारे अप्रूवल आयुष मंत्रालय को दिए. कोरोनिल से कोरोना मरीज 7 दिन में निगेटिव हुए. कोरोना में आर्युवेदिक दवाईयां काम करती हैं. हम लगातार इस पर रिसर्च कर रहे हैं.
रामदेव ने गुस्से में कहा कि मेरी दवाई से उन लोगों को गुस्सा आया जो लोग शूट-बूट पहनते हैं, उनको इस बात से दिक्कत हो गई कि कोई सन्यासी कैसे रिसर्च कर सकता है. उन्होंने कहा कि मेरे हाथ में जो औषधिया हैं इनका बनाने का लाइसेंस मिला हुआ कुछ लोग इस पर कोहराम मचा रहे हैं. अपने हुए एफआईआर की बात करते हुए रामदेव ने कहा-
ऐसा लगता है कि हिन्दुस्तान के अंदर योग आयुर्वेद का काम करना एक गुनाह हो और सैकड़ों जगह एफआईआर दर्ज हो गईं. जैसे किसी देशद्रोही और आतंकवादी के खिलाफ दर्ज होती हैं.
बता दें कि , रामदेव का दावा था कि इस दवा से कोरोना का संक्रमण खत्म हो सकता है और महामारी से बचाव भी संभव है. हालांकि अब तक किसी दवा को कोरोना के इलाज या बचाव के तौर पर मंजूरी नहीं मिली है. दुनिया भर में फिलहाल ट्रायल चल रहे हैं.
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