मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में साल 2023 चुनावी वर्ष होने वाला है, ऐसे में तमाम राजनैतिक संगठनों ने चुनावों की तैयारी करनी शुरू कर दी है. कांग्रेस पार्टी को भी मध्यप्रदेश में बजरंग सेना के रूप में एक नया साथी मिल गया है. बजरंग सेना जो की खुद की पहचान एक हिंदूवादी संगठन के रूप में पेश करता है, कांग्रेस को उसका साथ सत्ता की गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. क्या है यह बजरंग सेना ? क्या इसका बजरंग दल से कोई संबंध है ? कांग्रेस को समर्थन या कांग्रेस में विलय आपको इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से देते हैं.
मध्यप्रदेश में बजरंग सेना
मध्य प्रदेश में बजरंग सेना के कांग्रेस से विलय हो जाने की खबरें सामने आई. कुछ ही देर बाद मीडिया रिपोर्ट्स में इन खबरों का खंडन यह कहते हुए किया गया कि पूरी बजरंग सेना का कांग्रेस में विलय नहीं हुआ है बल्कि सिर्फ बजरंग सेना के कुछ सदस्य कांग्रेस में शामिल हुए हैं. इस संशय के बीच मध्यप्रदेश में मध्यप्रदेश की बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर पटेरिया ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए बताया कि,
"बजरंग सेना का कांग्रेस से विलय नहीं हुआ है बल्कि हमने कांग्रेस का समर्थन किया है. जिन चार-पांच लोगों ने कांग्रेस को ज्वाइन किया है वह सहमति से ही किया गया है बाकी बजरंग सेना ने कांग्रेस का समर्थन किया है."रणबीर पटेरिया, मध्यप्रदेश बजरंग सेना
मध्य प्रदेश में बजरंग सेना का नेतृत्व कर रहे रणबीर पटेरिया का दावा है कि उन्होंने इस संगठन को 2013 में बनाया था. संगठन का उद्देश्य हिंदू हित का काम, गाय की रक्षा, नशा-मुक्ति पर काम करना, सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में काम करना, कट्टरवादी लोगों को समझाना, सबको साथ लेकर चलना- जाती धर्म ने नहीं बांटने के लिए लोगों को प्रेरित करना था.
रणबीर पटेरिया कहते हैं कि हमने तो उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का भी समर्थन किया था. लेकिन जब हमने देखा कि हमारे कार्यकर्ताओं को कोई सम्मान नहीं मिल रहा, हमारे मुद्दों पर कोई बात नहीं हो रही, तो हमें लगा किसी ऐसी पार्टी को पकड़ा जाये जहां हमारे मुद्दों को सुना जाए. मध्यप्रदेश में रोजगार की बड़ी समस्या है.
रणबीर पटेरिया कभी बजरंग दल के सदस्य रह चुके हैं, उन्होंने बजरंग दल छोड़ने के बाद 2013 में बजरंग सेना का गठन किया था. बजरंग दल छोड़ने की वजह से सवाल पर रणबीर पटेरिया कहते हैं कि, "हम सामाजिक काम नहीं कर पा रहे थे, उनके वर्ष में कुछ चार-पांच कार्यक्रम होते हैं वही करना पड़ते है."
'बजरंग सेना' बनाम 'बजरंग सेना'
बजरंग सेना नाम के संगठन पर भी अलग अलग दावे किए जा रहे हैं. एक ओर जहां मध्यप्रदेश बजरंग सेना को रणबीर पटेरिया चलाते हैं तो वहीं दूसरी ओर बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में मौजूद बजरंग सेना नाम के एक अन्य संगठन को अमित गुप्ता चलाते हैं. क्विंट हिंदी से बात करते हुए अमित गुप्ता ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की है कि नाम एक होने की वजह से उनके संगठन को भी मध्यप्रदेश वाली बजरंग सेना समझा रहा है.
क्विंट हिंदी से बात करते हुए अमित गुप्ता ने कहा कि,
"रणबीर पटेरिया जो खुद को बजरंग सेना का कह रहे हैं वह असल में बजरंग सेना के नहीं है, वह एक जय बजरंग जन कल्याण समिति नाम का एक ट्रस्ट रजिस्ट्रेड कराए हैं. जबरदस्ती वह बजरंग सेना का नाम गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए हमने उन्हें कई बार बोला है यहां तक कि उन्हें एक लीगल नोटिस भी भेजा है. उस टाइम हमलोग ज्यादा एप्रोच नहीं किये लेकिन इस दौरान अभी हमारी गुजरात की टीम और देशभर की टीमों ने हर जगह से उनके ऊपर लोकल थानों में, कोर्ट में एफआईआर दर्ज कराई है."अमित गुप्ता, राष्ट्रीय अध्यक्ष बजरंग सेना, पटना
अमित गुप्ता आगे कहते हैं कि कमलनाथ जैसे लोग जो पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं, वो अगर किसी को नाम लेकर ज्वाइन कराते हैं तो उन्हें इसकी जांच करनी चाहिए कि यह उनके पास ऑफिशियली रजिस्ट्रड है या नहीं. उनके पास रजिस्ट्रेशन नहीं है. उनके ऊपर हमलोग कार्रवाई करेंगे."
अमित गुप्ता कहते हैं कि दोनों संगठनों का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है, हम रणबीर पटेरिया जी से कभी मिले भी नहीं है.
तो वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश बजरंग सेना के राष्ट्रिय अध्यक्ष रणबीर पटेरिया का कहना है की एक नाम के कई संगठन हो सकते हैं. हमारी अमित गुप्ता वाली बजरंग सेना से कोई संबंध नहीं है.
इन दोनों बजरंग सेना में हमने यह फर्क पाया कि मध्यप्रदेश बजरंग सेना सेक्युलर सिद्धांतों की तरफ बढ़ रही है और शायद कांग्रेस को समर्थन इसका ऐसा ही एक कदम था. जबकि अमित गुप्ता वाली बजरंग सेना जो बिहार और गुजरात में सक्रीय है वह हिंदुत्व के मुद्दे पर अडिग है.
दोनों ही संगठनों के पदाधिकारियों का दावा है कि उनका संगठन देशभर में एक्टिव और हर जगह उनके सदस्य है.
बजरंग दल की प्रतिक्रिया
बजरंग सेना का मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विलय की खबरों पर बजरंग दल के प्रचार प्रमुख डॉक्टर कुंदन चंद्रशेखर ने क्विंट हिंदी से बात करते हुआ कहा कि बजरंग दल की मूल संकल्पना हिंदू रक्षा करना है. यह कोई राजनैतिक संगठन नहीं है, बजरंग सेना जैसे कई संगठन भारत में है - सबका अपना एजेंडा है.
बजरंग सेना के कांग्रेस को समर्थन करने पर कुंदन चंद्रशेखर कहते हैं कि, "बजरंग सेना वाले एक ऐसी विचारधारा को सपोर्ट कर रहे हैं जो राम को ही काल्पनिक मानती थी, कपिल सिब्बल ने हलफनामा दिया था सुप्रीम कोर्ट में कि राम तो काल्पनिक है. ऐसी विचारधारा वालों के साथ बजरंग सेना के साथ जाना काफी हास्यास्पद है."
क्या मध्यप्रदेश में बजरंग सेना के समर्थन से कांग्रेस को कोई मजबूती मिलेगी? इस सवाल के जवाब में डॉक्टर कुंदन कहते हैं कि, "मुझे जो जानकारी है बजरंग सेना के 1000 भी सदस्य नहीं है. 90 % जिलों में इनका जिला अध्यक्ष भी नहीं है अब इसका क्या प्रभाव पड़ेगा इसका आंकलन किया जा सकता है."
कांग्रेस की प्रतिक्रिया ?
कांग्रेस को बजरंग सेना का समर्थन मिलने पर मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, "उन्होंने (बजरंग सेना के कार्यकर्ताओं ने) कांग्रेस का समर्थन किया है. उन्होंने सच्चाई का समर्थन किया है. वे भी महसूस कर सकते हैं कि मध्य प्रदेश को कहां घसीटा जा रहा है - चाहे वह भ्रष्टाचार हो, बेरोजगारी हो या कोई अन्य क्षेत्र। मैं बधाई देता हूं और उनका स्वागत है जो सच का साथ दे रहे हैं."
(इनपुट्स - विष्णुकांत तिवारी)
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