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बिहार का डिजिटल भिखारी...जो PayTM और PhonePay के जरिए मांगता है भीख

राजू पटेल ने कहा कि, मैं 2005 से भीख मांगता हूं और रात के वक्त मंदिर में सोता हूं.

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बिहार (Bihar) के बेतिया में एक ऐसा भिखारी है, जिसके पास भीख मांगने का एक नायाब तरीका है. वो पूरी तरह से भीख मांगने में हाईटेक है, जो पेटीएम से लेकर फोन पे और गूगल पे तक का इस्तेमाल भीख मांगने में करता है. राजू पटेल नाम का यह भिखारी इलाके में डिजिटल भिखारी के नाम से पहचाना जाता है. डिजिटल भिखारी राजू पटेल ने कहा कि मैं पेटीएम,फोन पे और गूगल पे से भीख मांगता हूं.

उसने बताया कि 2002 में मेरे पिता की मौत हो गई और मैं 2005 से भीख मांगता हूं और रात के वक्त मंदिर में सोता हूं.

कहां से मिला ऑनलाइन भीख का आइडिया?

जब भिखारी से पूछा गया कि ऑनलाइन भीख मांगने का आइडिया कैसे आया, तो उसने बताया कि जो ऑटो वालों के पास आता था और कार्ड बनाता था उसने मुझसे बोला कि राजू तुम भी इसको ले लो तो तुम्हें इसमें पैसा दिया जाएगा.

भिखारी ने बताया कि मैं पिछले 20-25 दिनों से ऑनलाइन तरीके का इस्तेमाल करके भीख मांग रहा हूं. रोज मुझे लगभग 200 रूपए मिल जाते हैं.

'80 हजार रूपए गायब हो गए थे'

भिखारी राजू ने बताया कि जब पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगा था, उस समय मेरे 80 हजार रुपए गायब हो गए थे. स्टेशन से मेरी पेटी गायब हो गई, जिसमें मेरे पैसे रखे हुए थे.

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राजू बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को प्यार से बाबू बोलता है, तो वहीं देश के प्रधानमंत्री मोदी को भी पसंद करता है.

2002 में पिता की मौत हो जाने के बाद से राजू बेघर हो गया और तब से रेलवे स्टेशन पर भीख मांगकर गुजारा करता है. राजू पटेल बेतिया के बसवारिया मुहल्ले के वार्ड नंबर-30 का रहने वाला है.

उसने बताया कि मुझे जो पैसा मिलता है उससे हम खाते-पीते हैं और बैंक अकाउंट में जमा करते हैं. अब तक हमारे पास कुल लगभग 25 हजार रुपए इकट्ठा हो चुके हैं.

इनपुट- लोकल सोर्स

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