बिहार में साथ मिलकर सरकार चला रहे जेडीयू और बीजेपी ने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) पर अलग-अलग सुर अलापे हैं. जेडीयू के उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने NRC के मुद्दे पर बिना किसी का नाम लिए बीजेपी पर निशाना साधा है.
प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया कि 15 से अधिक राज्यों में गैर-बीजेपी मुख्यमंत्री हैं और ये ऐसे राज्य हैं, जहां देश की 55 फीसदी से अधिक जनसंख्या है. उन्होंने आगे सवालिया लहजे में कहा, "आश्चर्य यह है कि उनमें से कितने लोगों से NRC पर विमर्श किया गया और कितने अपने-अपने राज्यों में इसे लागू करने के लिए तैयार हैं."
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में कहा कि NRC से डरने की जरूरत नहीं है और इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा.
NRC पर क्या कहा गिरिराज सिंह ने
बता दें कि केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह लगातार NRC के पक्ष में मुखर बने हुए हैं. गिरिराज सिंह ने कुछ दिन पहले ही ट्वीट कर कहा था कि पश्चिम बंगाल और बिहार में NRC की जरूरत है.
“पश्चिम बंगाल बिहार में एनआरसी की जरूरत, बिहार में NRC की जरूरत, बाहरी लोगों को छोड़ना होगा देश. जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू हो. अपने संस्कार व संस्कृति को सहेजने की जरूरत.”गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री
NRC क्या है और इसकी जरूरत क्यों पड़ी
नेशनल सिटिजन रजिस्टर (NRC) असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक लिस्ट है. इसका मकसद राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों, खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है. इसकी पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही थी.
इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटिजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया. इसके तहत रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं.
(IANS इनपुट के साथ)
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