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बाढ़ का पानी उतरा तो पटना पर चढ़ा डेंगू बुखार,सड़क पर तैर रहा कचरा

बिहार बाढ़ से बेहाल है, अब पानी उतरने के बाद संक्रमण और बीमारी से लोग परेशान हैं.

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बिहार बाढ़ से बेहाल है, अब पानी उतरने के बाद संक्रमण और बीमारी से लोग परेशान हैं. बिहार में करीब 900 डेंगू के मामले सामने आए हैं, जिसमें करीब 640 तो पटना के ही हैं. जहां बाढ़ की मार सबसे ज्यादा थी. सड़क पर तैरते कचरे, जानवरों के शव और दूसरी वजहों से हालात बदतर नजर आ रहे हैं.

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पटना के कई हिस्सों में जलभराव की स्थिति कायम रहने के बीच बिहार के मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) संजय कुमार ने 6 अक्टूबर को इस मसले पर कहा कि तैरते कचरे और जानवरों के शवों ने डेंगू के फैलने के खतरे को बढ़ा दिया है. लेकिन कुमार का कहना है कि पटना में इस बीमारी के फैलने के कोई संकेत नहीं हैं. कुमार ने ये दावा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च और पटना के राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के एक्सपर्ट्स के हवाले से किया है.

एक्सपर्ट्स की टीम ने बताया है कि मच्छरों की संख्या बढ़ रही है. 24 टीमें पटना में मच्छरों को मारने के लिए ‘Temefos’ छिड़क रही हैं.
संजय कुमार, बिहार के मुख्य सचिव (स्वास्थ्य)

पटना के कई इलाकों में अभी भी जलभराव की स्थिति बनी हुई है और गटर इस जमा हुए पानी को और प्रदूषित कर रहे हैं. प्रशासन जलभराव के लिए खराब पंपों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और दावा किया गया है कि लगभग सारा पानी जल्द ही निकाल दिया जाएगा.

लोगों ने बड़ी तादाद में प्रदर्शन करते हुए राज्य सरकार पर आपदा से निपटने में असफल रहने का आरोप लगाया है. बाढ़ में अभी तक 73 लोगों की जान जा चुकी है.

बाढ़ पीड़ितों ने किया विरोध प्रदर्शन

पटना के दानापुर इलाके के निवासियों ने गोला रोड टी-पॉइंट के पास सड़क पर जाम लगा दिया. इस दौरान लोगों ने टायर जलाए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. उन्होंने दावा किया कि पटना नगर निगम और दूसरी सरकारी एजेंसियां छह दिन पहले बारिश बंद होने के बाद भी कॉलोनियों और अपार्टमेंटों से बाढ़ के पानी को बाहर निकालने में असफल रही हैं.

जलभराव वाले क्षेत्रों में लोगों ने पिछले तीन दिनों में एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर विरोध-प्रदर्शन किया है. उनके प्रदर्शनों ने सरकारी अधिकारियों के स्थिति में सुधार होने के दावों को बेनकाब किया है. पटना का बड़ा हिस्सा जलमग्न होने से पिछले चार दिनों में फलों और सब्जियों जैसे जरूरी सामानों के दाम बढ़ गए हैं.

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