बीजेपी लंबे समय से दक्षिण भारत में अपने पैर जमाना चाह रही है. रविवार को हुई राज्यपालों की नियुक्ति में भी इसी रणनीति की झलक मिलती है. दूसरी पार्टियों के नेताओं को बीजेपी में शामिल करवाकर बीजेपी आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में अपना गढ़ मजबूत कर रही है.
बता दें इस चुनाव में भारी लहर के बावजूद बीजेपी, कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण भारत में कुछ खास कारनामा नहीं कर पाई. तेलंगाना में जरूर 2014 की तुलना में बीजेपी तीन सीटों की बढ़त के साथ चार सीटें जीतने में कामयाब रही. कर्नाटक में लंबे समय से बीजेपी मजबूत स्थिति में है.
तमिलनाडु में बीजेपी की खास कोशिश
तमिलनाडु में करुणानिधि और जयललिता की मौत के बाद बीजेपी को लगता है कि प्रदेश की राजनीति में एक खालीपन है. बीजेपी इस खाली जगह को भरने की कोशिश कर रही है. इसके लिए पार्टी नई लीडरशिप बनाने की कोशिश कर रही है.
रविवार को तमिलनाडु बीजेपी चीफ तमिलिसाई सौंदर्याराजन की आंध्रप्रदेश गवर्नर के तौर पर नियुक्ति को भी इस नजर से देखा जा रहा है. बता दें बीजेपी तमिलनाडु में नई लीडरशिप के लिए जगह बनाना चाहती है.
आंध्रप्रदेश में बीजेपी विरोधी पार्टियों के बड़े नेताओं को अपने पाले में करने की कोशिश में लगी है. पार्टी की रणनीति टीडीपी नेताओं को अपने साथ मिलाने की है.
हाल ही में कर्नाटक से आने वाले बीएल संतोष को बीजेपी ने राष्ट्रीय महासचिव जैसे अहम पद पर नियुक्त किया है. इसे स्थानीय लीडरशिप को मजबूत किए जाने वाला कदम बताया जा रहा है. इससे पहले संतोष ज्वाइंट सेक्रेटरी के तौर पर दक्षिण भारत के राज्यों में बीजेपी को मजबूत करने में लगे थे.
केरल में आरिफ मोहम्मद खान की नियुक्ति
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान को बीजेपी ने केरल का गवर्नर नियुक्त किया है. खान ट्रिपल तलाक के बड़े विरोधी रहे हैं. वे राजीव गांधी सरकार में मंत्री भी थे. पर शाहबानो मामले में राजीव गांधी के यू-टर्न के बाद उन्होंने सरकार से इस्तीफा दे दिया था. बाद में वे जनता दल में शामिल हो गए और मंत्री भी बने थे.
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