बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने चुनाव आयोग की ओर से उन पर 48 घंटे का बैन लगाए जाने के आदेश को असंवैधानिक करार दिया है. मायावती ने कहा है कि चुनाव आयोग ने जानबूझकर किसी दवाब में आकर दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार के आखिरी दिन से ठीक एक दिन पहले उन पर प्रचार न करने का बैन लगाया है.
मायावती आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन मामले को लेकर उनपर की गई कार्रवाई पर प्रतिक्रिया दे रहीं थीं. चुनाव आयोग ने सोमवार को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) मुखिया मायावती पर 48 घंटों तक लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का प्रचार करने पर रोक लगा दी है.
मायावती ने कहा कि चुनाव आयोग ने 11 अप्रैल को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसका उन्होंने 24 घंटे के अंदर जवाब दे दिया था.
आयोग ने अपने आदेश में क्या कहा?
चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि उन्होंने मायावती के जवाब को देखा और भाषण का वीडियो भी देखा. वीडियो देखने के बाद चुनाव आयोग संतुष्ट है कि मायावती ने अति भड़काऊ भाषण दिया है. भाषण का भाव और मंशा ऐसी थी, जिसमें पहले से मौजूद आपसी नफरत अलग-अलग धार्मिक समुदायों के बीच में मौजूद है, उसे और भड़काने के उद्देश्य से दिया गया है, जोकि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है.
चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा कि मायावती को ऐसा भाषण नहीं देना चाहिए था, जिसमें वोट को एकतरफा करने की क्षमता हो.
मायावती ने अपनी सफाई में क्या कहा?
- 11 अप्रैल 2019 को जो कारण बताओ नोटिस मिला, उसमें कहीं भी ये आरोप नहीं लगाया गया था कि हमने कोई भड़काऊ भाषण दिया था
- कारण बताओ नोटिस में सिर्फ एक ही आरोप लगाया गया था कि हम किसी एक समाज के नाम से वोट मांग रहे हैं
- कारण बताओ नोटिस के जवाब में मैंने स्पष्ट कर दिया था कि हमने अपने भाषण में कहीं भी जाति-धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगा है
- मैंने स्पष्ट तौर पर सभी वर्गों और धर्मों के लोगों से गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट देने की अपील की थी और मुस्लिम समाज से खास तौर पर अपील की थी कि आप अपना वोट किसी रिश्तेदार के चक्कर में पड़कर बंटने ना दें, जिसका एक ही निष्कर्ष निकलता है कि मुसलमानों को अपना वोट बंटने नहीं देना चाहिए और अपना वोट एकतरफा गठबंधन के उम्मीदवार को देना चाहिए
चुनाव आयोग पर मायावती ने लगाए ये आरोप
- मुझे भाषण की कोई सीडी उपलब्ध नहीं कराई गई
- मैंने चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि पूरे भाषण को सुना जाए जिससे स्पष्ट हो कि मैंने भड़काऊ भाषण नहीं दिया
- चुनाव आयोग ने किसी दवाब में आकर, अचानक से ये फैसला लिया है
- दूसरे चरण का चुनाव 18 अप्रैल को है. 16 तारीख को प्रचार का आखिरी दिन है. ऐसे में इस बैन से मेरी आगरा रैली नहीं हो पाएगी
- इस आदेश का एक ही मकसद था कि मैं आगरा, मथुरा और फतेहपुर सीकरी के लोगों से गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने की अपील न कर पाऊं
- अगर चुनाव आयोग की मंशा नहीं थी तो दूसरे चरण के चुनाव के आखिरी दिन के प्रचार के बाद लागू किया जा सकता था
- चुनाव आयोग ने सभी बातों को नजरअंदाज करके अचानक से मेरे ऊपर 48 घंटे का प्रतिबंध लगा दिया
- संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत हर नागरिक को मूलभूत अधिकार दिया गया है कि उसे कहीं आने जाने से या अपनी बात रखने से वंचित नहीं किया जा सकता है
- चुनाव आयोग ने बगैर किसी सुनवाई के असंवैधानिक तरीके से मुझ पर बैन लगाया है
- चुनाव आयोग का ये फैसला किसी दवाब में आकर लिया गया फैसला महूसस होता है
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