ADVERTISEMENTREMOVE AD

टिक-टॉक पर दिखा CAA-NRC के खिलाफ गुस्सा,#NRC को मिले करोड़ों व्यूज

टिक-टॉक पर सीएए के समर्थन में भी वीडियो बनाए  गए और कहा गया कि इसका विरोध अफवाहों की वजह से हो रहा है

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

सीएए के विरोध के लिए शॉर्ट वीडियो ऐप टिक-टॉक का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है . सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट (CAA) के खिलाफ बड़ी तादाद में लोगों ने सड़कों पर उतर कर विरोध जताया, वहीं टिक-टॉक पर लाखों की तादाद पर सीएए से जुड़े वीडियो नजर आए. देशभक्ति के गानों, कविताओं और देश की एकता को बनाए रखने की अपील करती तकरीरों के साथ लाखों वीडियो टिक-टॉक पर दिखे. इन वीडियो को लाखों व्यूज मिल रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
कई वीडियो में सीएए पर एक्सप्लेनर और इसके असर के बारे में बताया गया है. कुछ वीडियो में इसका समर्थन किया गया है और कहा गया है कि विरोध इसके बारे में फैलाई जा रही गलत सूचनाओं की वजह से हो रहा है.

राजनीतिक मुद्दों के लिए भी हो रहा है इस्तेमाल

इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक सीएए और एनआरसी के बारे में यूजर्स ने बड़ी तादाद में वीडियो बनाए. इनमें इन दोनों पर एक्सप्लेनर और इससे होने वाले असर के बारे में समझाया गया है.भारत में टियर-2 से लेकर टियर-5 तक के शहरों के युवाओं में टिक-टॉक बेहद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. शहरों में ट्विटर और इंस्टाग्राम लोकप्रिय है वहां भारत के अर्द्धशहरी और ग्रामीण युवा टिक-टॉक के जरिये खुद को अभिव्यक्त कर रहे हैं.टिकटॉक पर इन दिनों कई हैश टैग ट्रेंड हुए. इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक # NRC #no NRC #boycottNRC #rejectNRC #CAA #no CAA को करोड़ों व्यूज मिले.

CAA-NRC से जुड़े हैशटेग और व्यूज

  • #NRC- 7.62 करोड़
  • #no NRC- 3.57 करोड़
  • #no CAA- 1.19 करोड़
  • # boycottnrc - 1.06 करोड़
  • # CAA - 2.52 करोड़
  • # isupportnrc- 1 लाख 89 हजार
  • # rejectNRC- 63 लाख
  • # i_support_cab_nrc - 29 हजार
ADVERTISEMENTREMOVE AD

टियर 2 से लेकर टियर 5 शहरों के युवा टिक-टॉक पर डांस-सॉन्ग, जोक और हल्के-फुल्के विषयों पर बनाते रहे हैं. लेकिन अब राजनीतिक मुद्दों पर भी वीडियो बनने लगे हैं. सीएए और एनआरसी पर बने वीडियो और इन्हें बड़ी तादाद में मिले व्यूज इसका सबूत हैं. ग्रामीण और अर्द्धशहरी युवाओं को पता है कि उनकी राय भी मायने रखती है और वे टिक-टॉक जैसे ऐप्स पर वीडियो बना कर इसे जाहिर भी कर रहे हैं. लाइक और फॉलोअर्स के जरिये वे सामाजिक रुतबा भी हासिल कर रहे हैं.

फेसबुक का शहरों में 'निर्भया' गैंगरेप मामले के खिलाफ विरोध में काफी इस्तेमाल हुआ था. हालांकि शहरी यूजर्स के बीच इसका इस्तेमाल थोड़ा कम होने लगा है. वहीं ग्रामीण और अर्द्धशहरी इलाकों के युवाओं के बीच टिक-टॉक का इस्तेमाल काफी ज्यादा हो रहा है.

यूजर्स बेस के मामले में फेसबुक के लिए बना चुनौती

चीनी टेक्नोलॉजी कंपनी बाइटडांस के ऐप टिक-टॉक का राजनीतिक इस्तेमाल इसके लिए बड़ी चिंता की वजह बन गया है. हालांकि कंपनी ने कई बार यह सफाई दी है कि वह इसके राजनीतिक इस्तेमाल के प्रति सतर्क है. यूजर्स बेस के हिसाब से यह फेसबुक और ट्विटर के लिए चुनौती बनता जा रहा है. फेसबुक और ट्विटर भारत में अपने यूजर्स संख्या का खुलासा नहीं करते लेकिन स्टेस्टिक्स पोर्टल स्टेटिस्टा के मुताबिक यहां फेसबुक के 26 करोड़ 29 लाख और ट्विटर के 79 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं. जबकि देश भर में टिक-टॉक के 20 करोड़ यूजर्स है. इनमें से हर 12 करोड़ एक्टिव यूजर्स हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×