उत्तर प्रदेश में 21 दिसंबर को नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि हिंसा का 'बदला' लिया जाएगा. इसके करीब एक हफ्ते बाद, रामपुर जिला प्रशासन ने हिंसा में बाइक, बैरियर के नुकसान की भरपाई करना शुरू कर दिया है.
द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, प्रशासन ने 28 लोगों को इस नुकसान का जिम्मेदार ठहराया है. 24 दिसंबर को प्रशासन ने इन सभी लोगों को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों उनसे 14.86 लाख रुपये के नुकसान की भरपाई नहीं ली जानी चाहिए.
द इंडियन एक्सप्रेस से रामपुर जिला मजिस्ट्रेट आंजनेय कुमार सिंह ने कहा,
‘पुलिस जांच के बाद हमने 28 लोगों को नोटिस जारी किया है. पुलिस ने उनके खिलाफ सबूत सबमिट किए थे. उन (28 लोगों) को एक हफ्ते के अंदर अपना जवाब देने को कहा गया है, नहीं तो नुकसान से भरपाई की कार्रवाई शुरू की जाएगी. कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है, बाकियों के लिए रेड चालू है. आरोपी और उसका परिवार अपनी याचिका के स साथ सबूत पेश कर सकता है कि उन्हें मामले में गलत आरोपी बनाया गया है.’
रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश और स्थानीय पुलिस से मिली जानकारी के आधार पर एक सरकारी आदेश के बाद नोटिस जारी किया गया है.
सीएम आदित्यनाथ ने नागरिकता कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में हिंसा के बाद कहा था, 'आप विरोध के नाम पर हिंसा में शामिल नहीं हो सकते हैं. हम ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे. दोषी पाए जानेवाले लोगों की संपत्ति जब्त की जाएगी और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई की जाएगी.'
क्या कानूनी है ये नोटिस?
लीगल एक्सपर्ट की मानें, तो अगर आरोपी दोषी साबित होता है, तब ही उसकी भरपाई देनी होती है.
जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में 'डिस्ट्रक्शन ऑफ प्राइवेट एंड पब्लिक प्रॉपर्टीज स्टेट ऑफ एपी' केस में इस तरह के आयोजनों के लिए दिशा-निर्देश अपनाए थे. नुकसान की भरपाई तभी करनी होगी जब हाईकोर्ट ऑर्डर पास करेगा.
‘थॉमस-नरीमन कमेटी रिपोर्ट की गाइडलाइन्स में देख सकते हैं, आरोपी को भुगतान करने के लिए कहने का कोई प्रावधान नहीं है. पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट को आदेश पारित करना होगा.’वकाशा सचदेव, क्विंट के लीगल एडिटर
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश
नोटिस में, सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मोहम्मद शुजाउद्दीन बनाम यूपी केस का हवाला दिया है. हालांकि, ये निर्देश केवल उन मामलों पर लागू होता है, जहां एक आंदोलन/जुलूस के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होता है, जिसे 'राजनीतिक पार्टी या कोई जनप्रतिनिधि या किसी पूर्व नेता' के इनविटेशन पर बुलाया जाता है.'
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