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अगले एकेडमिक ईयर के लिए सिंगल बोर्ड एग्जाम फॉर्मेट अपनाएगा CBSE

CBSE सिस्टम का पालन करने वाले स्कूलों के प्रधानाचार्यों और स्टूडेंट्स ने पॉलिसी में हो रहे बदलाव का स्वागत किया है.

Published
भारत
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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अगले शैक्षणिक वर्ष से कोरोना महामारी से पहले पालन किए जाने वाले सिंगल-बोर्ड एग्जाम को बहाल करने का फैसला लिया है. इसका मतलब है कि दसवीं और बारहवीं क्लास के बोर्ड एग्जाम को दो भागों में नहीं बांटा जाएगा. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा मंत्रालय के एक सीनियर ऑफिसर ने कहा कि CBSE ने यह कभी नहीं कहा कि दो-टर्म एग्जाम-फॉर्मेट जारी रहेगा, यह एक बार का फॉर्मूला था. अब जब स्कूल पूरी क्षमता के साथ फिर से खोले जा रहे हैं, तो अभी के लिए यह फैसला लिया गया है कि एक बार एग्जाम-फॉर्मेट पर टिके रहना है.

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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक अज्ञात अधिकारी ने कहा कि एनईपी 2020 दो-टर्म एग्जाम के पक्ष में है, यह अभी के लिए पिछले फॉर्मेट पर स्विच करने और एकेडमिक इयर के अंत में बोर्ड परीक्षा का एक सेट आयोजित करने का फैसला लिया गया है. स्टेकहोल्डर्स ने एक परीक्षा नीति का भी सुझाव दिया है.

सीबीएसई सिस्टम का पालन करने वाले स्कूलों के प्रधानाचार्यों और छात्रों द्वारा नीति परिवर्तन का स्वागत किया गया है.

एग्जाम न केवल छात्रों के लिए, बल्कि स्कूलों और शिक्षकों के लिए भी एक बड़ी एक्सरसाइज जैसा है. दो सेट में एग्जाम करवाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण है क्योंकि स्कूलों को बोर्ड एग्जाम के वक्त अन्य सभी गतिविधियों को रोकना पड़ता है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक CBSE रोहिणी में माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा ने कहा कि यह एक राहत भरा फैसला है कि एग्जाम्स अपने पहले वाले पैटर्स में वापस आ चुके हैं.

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HT की रिपोर्ट के मुताबिक कालकाजी में दिल्ली सरकार के स्कूल में क्लास 12 की छात्रा शांभवी सिंह ने कहा कि हम सिर्फ एग्जाम देना जारी नहीं रख सकते. अब हम सिर्फ एक ही एग्जाम और कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे.

बोर्ड ने अभी तक स्टूडेंट्स के 2021-22 बैच के लिए वो वेटेज नहीं तय किया है, जो फर्स्ट और सेकेंड टर्म एग्जाम्स को दिया जाएगा.

एक अज्ञात अधिकारी ने कहा कि बोर्ड को स्कूलों से बड़ी संख्या में गुजारिश की गई है कि दूसरे सत्र की परीक्षाओं को अधिक वेटेज दिया जाए. यह वेटेज के संबंध में फैसला लेने के लिए रिप्रजेंटेशन की जांच कर रहा है.

हालांकि, CBSE सिलेबस पॉलिसी पर कायम रहेगा, जिसका उसने पिछले दो वर्षों के दौरान पालन किया है. यानी पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत कम करके रखा गया है.

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