मोदी कैबिनेट ने मंगलवार को भारत की जनगणना 2021 और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के लिए मंजूरी दे दी है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. भारत के जनगणना 2021 की कवायद के लिये 8,754.23 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई. वहीं, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिये 3,941.35 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई.
सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि जनगणना के लिये कोई लंबा फॉर्म नहीं भरना होगा. इसके लिये किसी सबूत की जरूरत नहीं होगी और न ही कोई दस्तावेज देना होगा. इसके लिए एक मोबाइल एप भी बनाया गया है.
फिलहाल, नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के जरिए जुटाए गए डेटा का इस्तेमाल कर NRC तैयार करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.प्रकाश जावडेकर, सूचना और प्रसारण मंत्रालय
असम को छोड़कर देश के सभी राज्यों में लागू होगा
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के मकसद में कहा गया है कि एनपीआर देश के स्वाभाविक निवासियों का रजिस्टर है, ये नियम 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय स्तर पर (गांव/उप शहर), उप जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जायेगा. सरकारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, एनपीआर अप्रैल और सितंबर 2020 के बीच असम को छोड़कर देश के अन्य सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा. ये जनगणना काम के साथ होगा. असम को इससे अलग इसलिए रखा गया है क्योंकि वहां पहले ही राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण का काम हो गया है. एनपीआर का मकसद देश के स्वभाविक निवासियों की समग्र पहचान का डाटाबेस तैयार करना है. इसमें भौगोलिक और बायोमेट्रिक जानकारी होगी.
पिछले आंकड़े 2010 की लिस्ट से लिए गए थे
एनपीआर के आंकड़े पिछली बार 2010 में घर की सूची तैयार करते समय लिये गये थे जो 2011 की जनगणना से जुड़े थे. 2015 में घर घर जाकर इन आंकड़ों को अपडेट किया गया था. दूसरी ओर, जनगणना 2021 दो चरणों में होगी. इसमें पहले चरण में घर की सूची या घर संबंधी गणना होगी जो अप्रैल से सितंबर 2020 तक होगी. इसका दूसरा चरण नौ फरवरी से 28 फरवरी 2021 में होगा.
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