ADVERTISEMENTREMOVE AD

PM मोदी अपने ही मंत्रियों और पार्टी को झूठा क्यों बता रहे हैं?

देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं- PM मोदी का दावा कितना सच्चा?

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा/विशाल कुमार

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले रामलीला मैदान में पीएम मोदी ने बीजेपी के चुनावी अभियान की शुरुआत की. देशभर में जिस वक्त सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, पीएम ने अपने भाषण में CAA और NRC के बारे में कई बातें कहीं. उनके भाषणों में कई बातें ऐसी थीं जो तथ्यों से उलट थीं. उनमें से कुछ बातों का हमने फैक्ट चेक किया.

'भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है’

अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा-

“देश के मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जा रहा है, न हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेंटर है”

जबकी सच्चाई ये है कि डिटेंशन सेंटर भारत में हैं. क्विंट के कॉरेस्पॉन्डेंट त्रिदीप मंडल और अंजना दत्ता सितंबर 2019 की रिपोर्ट में ये बातें बता चुके हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे सरकार असम में गुवाहाटी से 22 किलोमीटर दूर देश का सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर बना रही है.

असम के गोलपारा के मटिया में ये डिटेंशन सेंटर है. इसमें 3,000 लोगों को रखा जा सकता है. असम में अभी तक छह डिटेंशन सेंटर हैं. डिब्रूगढ़, सिलचर, तेजपुर, जोरहाट, कोकराझार और गोलपारा. क्विंट ने कैंप के अंदर भेजे गए लोगों की जिंदगी के बारे में भी खबर दी थी. रिपोर्ट में उन लोगों के परिवार के सदस्यों को भी दिखाया गया था, जिनकी मौत डिटेंशन सेंटर में हुई थी.

सरकार ने भी खुद ये बात मानी थी कि भारत में डिटेंशन सेंटर हैं-

राज्यसभा में एक लिखित सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था-

“जैसा कि असम सरकार ने सूचित किया, 22 नवंबर 2019 तक, असम में छह डिटेंशन सेंटरों में 988 विदेशियों को रखा गया था”
ADVERTISEMENTREMOVE AD

इसी तरह का एक जवाब केंद्रीय राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने 2 जुलाई 2019 को लोकसभा में दिया. उन्होंने कहा था-असम में छह डिटेंशन सेंटर को जिन्हें ‘विदेशी’ घोषित किया गया है, उन्हें रखने के लिए चुना गया है. इन केंद्रों में 335 लोगों को तीन साल से ज्यादा समय तक रखा जाएगा.

लेकिन क्या ये डिटेंशन सेंटर सिर्फ असम में हैं? क्या कहीं और इसकी बात नहीं हुई है? हुई है. सितंबर 2019 में, महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय ने नवी मुंबई प्लानिंग अथॉरिटी को कथित तौर पर पत्र लिखकर राज्य का पहला डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए नेरल में तीन एकड़ जमीन मांगी थी.

पश्चिम बंगाल के प्रशासनिक सुधार मंत्री उज्ज्वल बिस्वास ने नवंबर 2019 में भी कुछ इससे मिलती जुलती बात कही थी.उन्होंने पीटीआई को बताया था कि राज्य सरकार ने पहले ही कोलकाता के न्यू टाउन इलाके में जमीन के एक टुकड़े को दो डिटेंशन सेंटर के निर्माण के लिए अंतिम रूप दे दिया है.इसमें आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार विदेशी नागरिकों को रखा जाएगा.

कर्नाटक में, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बेंगलुरु के सांसद पीसी मोहन के एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि कर्नाटक सरकार ने केंद्र को सूचित किया है कि वे जल्द ही एक डिटेंशन सेंटर बनाने की प्रक्रिया में हैं.

'2014 के बाद से, राष्ट्रव्यापी एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं'

नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर पर, पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा-

मेरी सरकार आने के बाद, 2014 के बाद मैं 130 करोड़ देशवासियों को कहना चाहता हूं कहीं पर भी NRC शब्द पर कोई चर्चा नहीं हुई है, कोई बात नहीं हुई, सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ने जब कहा तो सिर्फ असम के लिए करना पड़ा, क्या बातें कर रहे हैं ये लोग(विपक्ष)?
ADVERTISEMENTREMOVE AD

लेकिन कई मौकों पर दिए गए गृहमंत्री के बयान ही पीएम की बातों से अलग हैं. दिसंबर में ही गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा था कि उनका साफ एजेंडा है, और इसका जिक्र बीजेपी मेनिफेस्टो में भी है कि देश में NRC आकर रहेगा.

दिसंबर 2019 में ही, गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड में एक रैली में कहा था-

“एनआरसी पूरे देश में लागू किया जाएगा. 2024 चुनावों से पहले सभी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकाला जाएगा”

ट्विटर पर बीजेपी के ऑफिशियल हैंडल से भी ट्वीट कर यही बातें कही गई थी. जिसे अब डिलीट कर दिया गया है. नवंबर 2019 के ट्वीट में गृह मंत्री अमित शाह को कोट कर लिखा गया है, "हम पूरे देश में एनआरसी लागू करेंगे."

लेकिन जैसे-जैसे देश में CAA-NRC को लेकर विरोध बढ़ा, 19 दिसंबर 2019 को ट्वीट डिलीट कर दिया गया

पीएम मोदी का बयान, 2019 चुनावों के बीजेपी के घोषणापत्र से भी अलग है, घोषणापत्र में कहा गया है-

हम इन क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर NRC को तेजी से पूरा करेंगे. भविष्य में, हम एनआरसी को देश के अन्य हिस्सों में एक-एक कर लागू करेंगे

“मनमोहन सिंह ने कहा-बांग्लादेश से सताए हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाए”

  • सच ये है, 2003 में नागरिकता संशोधन बिल पर बहस के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किसी भी देश के सताए हुए अल्पसंख्यक को भारत में नागरिकता देने के लिए एक मौका देने की बात की थी. उन्होंने किसी एक विशेष देश या एक विशेष धर्म के बारे में ये नहीं कहा था. जैसा कि पीएम मोदी का 2019 का सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल करता है. इसलिए ये तथ्य गलत है.

ये तीनों बयान- पीएम मोदी ने अपने भाषण दिए, जिनका हमने फैक्ट चेक किया. क्या पीएम का भाषण एनआरसी और सीएए पर भाजपा के रुख में बदलाव का संकेत है... या ये केवल डैमेज कंट्रोल का प्रयास है?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×