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HC जजों पर SC-सरकार आमने सामने: कॉलेजियम के 12 नामों पर केंद्र का विरोध

कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश में फिर से इन नामों को रखा है.

Published
भारत
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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने 12 हाईकोर्ट (High Courts) के लिए 68 जजों के नामों की सिफारिश की है, लेकिन इन 68 में से 12 की सिफारिश पर केंद्र सरकार को आपत्ति है.

केंद्र (Central Government ) इनके नामों का पहले से विरोध करती आई है और अब जब कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश में फिर से इन नामों को रखा है, तो सरकार और कोर्ट के बीच टकराव जैसे हालात पैदा हो सकते हैं.

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प्रक्रिया के मुताबिक कॉलेजियम की सिफारिशों के बाद केंद्र को इन सभी नामों को नियुक्त करना ही होगा. हालांकि, केंद्र सरकार इनकी नियुक्ति को लंबे समय तक टाल सकती है, लेकिन कोर्ट ने इसके लिए भी कहा था कि नियुक्तियां जल्द से जल्द होनी चाहिए.

केंद्र किन नामों को लेकर विरोध कर रहा है ?

दरअसल, केंद्र सरकार को कॉलेजियम की सिफारिशों में 12 नामों से दिक्कत है. इसमें तीन न्यायिक अधिकारी (Judicial Officers) ओम प्रकाश त्रिपाठी, उमेश चंद्र शर्मा और सैयद वाहिद मियां के साथ-साथ नौ वकीलों के नाम शामिल हैं.

कॉलेजियम ने जिन तीन न्यायिक अधिकारियों के नाम फिर से दोहराएं हैं, उन तीनों की पहले भी 4 फरवरी को आठ अन्य न्यायिक अधिकारियों के साथ सिफारिश की गई थी. केंद्र ने मार्च में उस लिस्ट में से 7 जजों को अपॉइंट किया था. फिलहाल त्रिपाठी, शर्मा और मियां वाराणसी, इटावा और अमरोहा में डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज हैं.

इसके अलावा केंद्र को जिन नामों से आपत्ति है उनमें चार हाईकोर्ट के 9 वकील शामिल हैं.

राजस्थान हाई कोर्ट के लिए कॉलेजियम ने कांग्रेस की सरकार के साथ अतिररिक्त सॉलिसिटर जनरल फरजंद अली को नियुक्त करने के अपने फैसले को दोहराया. इससे पहले अली के नाम की सिफारिश पहली बार जुलाई 2019 में SC कॉलेजियम ने की थी.

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कलकत्ता हाईकोर्ट के लिए, कॉलेजियम ने 4 वकीलों जयतोष मजूमदार, अमितेश बनर्जी, राजा बसु चौधरी और लपिता बनर्जी की सिफारिश करने के अपने फैसले को फिर दोहराया है.

इनके नामों की सिफारिश पहली बार दिसंबर 2018 में की गई थी, लेकिन इनके नामों पर केंद्र ने विचार नहीं किया. ये सभी राज्य सरकार के वकील और पश्चिम बंगाल सरकार के अपॉइंट किए हुए स्थायी वकील थे.

संयोग से, अमितेश बनर्जी पहले के सुप्रीम कोर्ट के जज यूसी बनर्जी के बेटे हैं, जिन्होंने 2006 में एक केंद्रीय जांच को लीड किया था. इस जांच रिपोर्ट में गोधरा में फरवरी 2002 साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने में किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया था.

शाक्य सेन हाईकोर्ट के पहले के जज श्यामल सेन के बेटे हैं. रिटायर होने के बाद श्यामल सेन को 2004 से 2008 तक पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के रूप में अपॉइंट किया गया था.
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कॉलेजियम ने जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में जज के लिए दो भी के नाम भी दोहराए, जिसमें मोक्ष खजूरिया काजमी और राहुल भारती शामिल हैं. जबकि काजमी की पहली बार अक्टूबर 2019 में सिफारिश की गई थी और भारती की मार्च 2019 में.

खजुरिया-काजमी एक सीनियर वकील हैं, जिन्होंने 2016 में राज्यपाल शासन के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के रूप में काम किया था.

कर्नाटक हाईकोर्ट के लिए कॉलेजियम ने वकील नागेंद्र रामचंद्र नाइक और आदित्य सोंधी की सिफारिश करने के अपने फैसले को फिर से दोहराया. सोंधी ने इससे पहले कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के लिए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल का काम किया है.

(इनपुट्स - इंडियन एक्सप्रेस)

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