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ट्विटर के ब्लॉग पोस्ट के जवाब में सरकार ने किया Koo का इस्तेमाल

क्या है Koo, कब लॉन्च हुआ था, जानिए बड़ी बातें

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अकाउंट्स की ब्लॉकिंग को लेकर ट्विटर के साथ जारी गतिरोध के बीच भारत सरकार ने कू ( Koo) का इस्तेमाल कर ट्विटर को निशाने पर लिया है.

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बता दें कि ट्विटर ने बुधवार को बताया कि भारत सरकार ने उसे जिन अकाउंट्स पर रोक लगाने के लिए लिस्ट भेजी थी, उनमें से उसने कुछ पर ही कार्रवाई की है. ट्विटर ने इस मामले को लेकर एक ब्लॉग पोस्ट में अभिव्यक्ति की आजादी पर भी जोर दिया.

अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इसके बाद मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड आईटी ने कू पर पोस्ट कर कहा कि ट्विटर के अनुरोध पर आईटी सेक्रेटरी कंपनी के सीनियर मैनेजमेंट के साथ जुड़ने वाले थे, इससे पहले ही ब्लॉग पोस्ट का पब्लिश होना असामान्य है, सरकार जल्द ही अपनी प्रतिक्रिया शेयर करेगी.

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न्यूज एजेंसी एएनआई ने हाल ही में सूत्रों के हवाले से बताया था कि सरकार ने ट्विटर से ऐसे 1178 अकाउंट्स को हटाने के लिए कहा था, जो कथित तौर पर किसान आंदोलन को लेकर गलत सूचनाएं और भड़काऊ साम्रगी फैला रहे थे.

एक-एक कर कू ज्वाइन कर रहे मंत्री

केंद्र सरकार के मंत्री और बीजेपी नेता एक-एक कर कू ज्वाइन कर रहे हैं. कू को जिस ट्विटर का विकल्प बताया जा रहा है, रेल मंत्री पीयूष गोयल ने 9 फरवरी को उसी पर ट्वीट कर कहा, ''मैं अब कू पर हूं. रियल टाइम, रोमांचक और विशेष अपडेट के लिए इस भारतीय माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर मेरे साथ जुड़ें.'' 9 फरवरी को ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर बताया कि वह कू पर मौजूद हैं. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भी कू को ज्वाइन कर चुके हैं.

न सिर्फ मंत्री, बल्कि टेलिकॉम और आईटी विभाग, इंडिया पोस्ट, सेंट्रल बोर्ड ऑफ इंडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स और MyGovIndia भी कू पर मौजूद हैं. ईशा फाउंडेशन के जग्गी वासुदेव, पूर्व क्रिकेटर जवागल श्रीनाथ और अनिल कुंबले जैसे लोग भी इस प्लेटफॉर्म को ज्वाइन कर चुके हैं.

बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम ''मन की बात'' में मेड-इन-इंडिया ऐप्स में से एक के तौर पर कू का जिक्र किया था.

क्या है कू, कब लॉन्च हुआ था?

कू ट्विटर की तरह ही एक माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म है. यह वेबसाइट के तौर पर उपलब्ध होने के साथ-साथ iOS और गूगल प्ले स्टोर पर ऐप के तौर पर भी मौजूद है. इस पर कैरेक्टर लिमिट 400 की है. कू पर ऑडियो और वीडियो आधारित पोस्ट भी किए जा सकते हैं. यह यूजर्स को ट्विटर की तरह हैशटैग के इस्तेमाल की भी सुविधा देता है. इस पर बाकी यूजर्स को @ सिंबल का इस्तेमाल करके टैग भी किया जा सकता है, जैसा कि ट्विटर पर भी होता है.

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कू के CEO और को-फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्णन ने बताया, ‘’हमने इस ऐप पर नवंबर 2019 से काम करना शुरू कर दिया था. हम इंटरनेट पर भारतीय भाषाएं बोलने वाले लोगों की आवाज लाना चाहते थे. हमने इसे मार्च 2020 में लॉन्च किया.’’

कू ऐप जोहो और चिंगारी जैसी भारतीय ऐप के साथ आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज भी जीत चुकी है.

कू की कंटेट पॉलिसी को लेकर राधाकृष्णन ने बताया, ''हम स्वतंत्र अभिव्यक्ति वाले प्लेटफॉर्म हैं. हालांकि, किसी की जान को खतरा होने या हिंसा के खतरे जैसे मामले अपवाद हैं. ये वो चीजें हैं, जहां हम देश के कानून से बंधे हुए हैं.''

क्या कू अकेला ही है ट्विटर का विकल्प?

नहीं. इससे पहले भारत का टूटर (Tooter) भी चर्चा में रहा है. इस प्लेटफॉर्म को भी सरकार के मंत्रियों ने ज्वाइन किया था, हालांकि इसे लोकप्रियता नहीं मिल पाई.

नवंबर 2019 में भारतीय ट्विटर एक्टिविस्ट्स के बीच Mastodon ने भी लोकप्रियता हासिल की थी. मगर यह प्लेटफॉर्म भी ट्विटर को टक्कर नहीं दे पाया.

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