ICICI बैंक की चीफ चंदा कोचर समेत तीन लोगों के खिलाफ अनियमितताओं के आरोप में सीबीआई ने गुरूवार को एफआईआर दर्ज की. इस मामले के व्हिसलब्लोअर अरविंद गुप्ता का मानना है कि ये तो बहुत ही छोटा सा मामला सामने आया है, अरविंद गुप्ता ने सरकार से गुजारिश की है कि इस मामले की परत दर परत जांच हो और भारतीय बैंकिंग सिस्टम में चल रही धांधली का खुलासा हो.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को 3,250 करोड़ रुपये के आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन लोन मामले में अनियमितताओं के आरोप में चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के एमडी पर एफआईआर दर्ज की है. सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर से जुड़े मामले में मुंबई और औरंगाबाद में वीडियोकॉन के मुख्यालयों पर छापेमारी भी की है. सीबीआई के सूत्रों ने छापेमारी की पुष्टि की है.
व्हिसलब्लोअर अरविंद गुप्ता का कहना है कि वैसे तो आईसीआईसीआई बैंक से लोन लेने वाली ज्यादातर कंपनियों का दिवालिया निकल गया लेकिन चंदा कोचर ने इन हालातों से भी फायदा उठाने का एक ‘नया तरीका’ अपनाया.
एक शेयरहोल्डर होने के तौर पर मुझे लगता था कि ये बातें लोगों को पता होनी चाहिए. तो मैंने सभी को बता जिया. सरकार को भारतीय कंपनियों में आ रही विदशी फंडिंग पर नजर रखनी चाहिए क्योंकि चंदा कोचर का केस तो बस एक शुरुआत भर है.अरविंद गुप्ता
क्या है वीडियोकॉन मामला ?
दिसंबर 2008 में वीडियोकॉन समूह के मालिक वेणुगोपाल धूत ने आईसीआईसीआई की सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और उनके दो रिश्तेदारों के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई थी. इसके बाद कंपनी को 64 करोड़ का लोन दिया गया. लोन देने वाली कंपनी वेणुगोपाल धूत की थी. जिसे बाद में इस कंपनी का मालिकाना हक महज 9 लाख रुपये में उस ट्रस्ट को सौंप दिया गया, जिसकी कमान चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के हाथों में थी.
दीपक कोचर को इस कंपनी का ट्रांसफर वेणुगोपाल द्वारा आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपये का लोन मिलने के 6 महीने के बाद किया गया. इस लोन का करीब 86 फीसदी (2,810 करोड़ रुपये) राशि को जमा नहीं किया गया. 2017 में वीडियोकॉन के अकाउंट को बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया.
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