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चंद्रयान-2: जानिए, लॉन्च होने से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ

चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के लिए आखिरी के 15 मिनट सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण थे.

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भारत
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भारत अपने दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के जरिए 6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात इतिहास रचने के काफी करीब था. दरअसल इस दौरान चंद्रयान-2 का लैंडर 'विक्रम' चांद के उस हिस्से में सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहा था, जहां पहले कोई सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हुई. मगर आखिरी वक्त में 'विक्रम' का संपर्क इसरो से टूट गया.

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अब तक इस तरह आगे बढ़ा मिशन चंद्रयान-2

  • 15 जुलाई: चंद्रयान-2 के लॉन्च होने से महज एक घंटे पहले लॉन्च व्हीकल में तकनीकी समस्या के चलते मिशन रोक दिया गया
  • 22 जुलाई: भारत ने अपने हेवी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV MkIII-M1 की मदद से चंद्रयान-2 को लॉन्च किया.स्पेसक्राफ्ट के तीन सेगमेंट थे- ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, 8 पेलोड्स), लैंडर 'विक्रम' (1,471 किलोग्राम, 3 पेलोड्स) और एक रोवर 'प्रज्ञान' (27 किलोग्राम, 2 पेलोड्स).
  • 24 जुलाई-6 अगस्त: 24 से 6 अगस्त तक चंद्रयान-2 ने पृथ्वी की ऊंची कक्षा में स्थापित होने के 5 चरण पूरे किए
  • 20 अगस्त 2019: चंद्रयान-2 चांद की कक्षा (114 km x 18072 km) में स्थापित हुआ
  • 21 अगस्त: चंद्रयान-2 चांद की दूसरी कक्षा (118 km x 4,412 km) में स्थापित हुआ
  • 28 अगस्त: चंद्रयान-2 चांद की तीसरी कक्षा (179 km x 1412 km) में स्थापित हुआ
  • 30 अगस्त: चंद्रयान-2 चांद की चौथी कक्षा (124 km x 164 km) में स्थापित हुआ
  • 1 सितंबर: चंद्रयान-2 चांद की 5वीं कक्षा (119 km x 127 km) में स्थापित हुआ
  • 2 सितंबर: चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हुआ लैंडर 'विक्रम'
  • 3 सितंबर: चांद की पहली निचली कक्षा में स्थापित हुआ लैंडर 'विक्रम'
  • 4 सितंबर: चांद की दूसरी निचली कक्षा में स्थापित हुआ लैंडर 'विक्रम'
  • 7 सितंबर: 6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात करीब 1:53 बजे चांद के दक्षिणी धुव्रीय क्षेत्र में विक्रम की 'सॉफ्ट लैंडिंग' होने जा रही थी. मगर जब 'विक्रम' चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था, इसका संपर्क इसरो से टूट गया.
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‘विक्रम’ के लिए आखिरी के 15 मिनट सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण थे. ‘रफ ब्रेकिंग फेज’ और ‘फाइन ब्रेकिंग फेज’ के जरिए इसकी स्पीड कम की जानी थी, ताकि यह आसानी से सॉफ्ट लैंडिंग कर सके.

ISRO की स्क्रीन्स पर दिख रहे डेटा के मुताबिक, 'रफ ब्रेकिंग फेज' सफल रहा. मगर जब 'विक्रम' चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था, इसका संपर्क इसरो से टूट गया.

बस यहीं से इसरो के लिए तनाव भरे पल शुरू हो गए. इसके बाद इसरो चीफ के सिवन ने कहा- ''विक्रम’ चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर दूरी पर था, यहां तक सब ठीक था. इसके बाद इससे हमारा संपर्क टूट गया. डेटा एनालाइज किया जा रहा है.''

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