एक तरफ पाकिस्तान लगातार कह रहा है कि कश्मीर मुद्दे पर चीन उसके साथ है. अब भारत ने चीन से कहा है कि द्विपक्षीय संबंध विवाद नहीं बनने चाहिए. क्योंकि इससे पहले बीजिंग ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर भारत-पाक के बीच चल रहे तनाव पर वो करीबी नजर बनाए हुए है. चीन ने भारत से क्षेत्रीय संतुलन और शांति बनाने रखने की भी बात कही थी. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन के 3 दिन के दौरे पर पहुंचे हैं. यहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री से दोनों देशों के संबंधों पर बातचीत की. जयशंकर ने कहा, ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया अनिश्चितता की स्थिति का सामना कर रही है तब भारत-चीन के संबंध स्थिर होने चाहिए.
11 अगस्त को बीजिंग पहुंचे जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग क्विशान से उनके घर पर मुलाकात की. बाद में उन्होंने विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की, जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई.
राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भरोसेमंद समझे जाने वाले वांग के साथ मुलाकात के दौरान अपनी शुरुआती बातचीत में जयशंकर ने कहा, ‘‘हम दो साल पहले अस्ताना में एक आम सहमति पर पहुंचे थे कि ऐसे समय में जब दुनिया में पहले से अधिक अनिश्चितता है, हमारे संबंध स्थिर होने चाहिए.’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच हुई शिखर बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा-
मैं, उस वुहान शिखर सम्मेलन के बाद यहां आकर आज बहुत खुश हूं, जहां वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमारे नेताओं के बीच आम सहमति और व्यापक हुई थी.
जयशंकर ने कहा, ‘‘चीन में दोबारा आना बहुत खुशी की बात है और मैं अपने पिछले सालों को बड़े उत्साह के साथ याद करता हूं. मैं बहुत खुश हूं कि मेरे कार्यकाल की शुरुआत में ही मुझे यहां आने और हमारे दो नेताओं के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की तैयारी करने का अवसर मिला, जिसे हम जल्द ही देखने की उम्मीद करते हैं.’’
जयशंकर का स्वागत करते हुए, उपराष्ट्रपति वांग ने कहा-
मुझे यह भी पता है कि आप चीन में सबसे लंबे समय तक रहने वाले भारतीय राजदूत हैं और आपने हमारे दोनों देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
उन्होंने उम्मीद जताई कि यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाएगी.
जयशंकर साइन करेंगे चार MoU
इसके बाद जयशंकर और विदेश मंत्री वांग यी ने कल्चर और दोनों देशों के लोगों के आपसी संबंध पर हाई लेवल मीटिंग की सह-अध्यक्षता की. पहली मीटिंग पिछले साल नई दिल्ली में हुई थी. समझा जाता है कि जयशंकर की यात्रा के दौरान चार एग्रीमेंट (MOU) साइन किए जाएंगे.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद जयशंकर चीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय मंत्री हैं. यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए उसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांट दिया है. हालांकि उनका दौरा संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के भारत के फैसले से बहुत पहले तय हो चुका था.
राजनयिक से विदेश मंत्री बने जयशंकर 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे थे. किसी भारतीय दूत का यह सबसे लंबा कार्यकाल था. साल 2017 में डोकलाम में 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाओं के बीच रही गतिरोध की स्थिति के बाद मोदी और शी ने पिछले साल वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता कर द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा दिया था.
भारत-चीन व्यापार 100 अरब डॉलर पार की उम्मीद
अधिकारियों को इस साल पहली बार द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर पार करने की उम्मीद है. चीनी अधिकारी विशेष रूप से कृषि उत्पादों के अलावा फार्मास्यूटिकल्स और आईटी में भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहे हैं. भारत भी मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान में बड़े पैमाने पर चीनी निवेश का आकांक्षी है.
जयशंकर की यात्रा ऐसे समय में हुई जब कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत का कश्मीर को विशेष दर्जा खत्म करने के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने को लेकर चीन से समर्थन मांगने के लिए 9 अगस्त को बीजिंग की यात्रा की थी. भारत ने लगातार कहा है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और यह देश का आंतरिक मामला है.
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