नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दायर 144 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने CAA पर तुरंत स्टे लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है वो सभी याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी करेंगे. कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया है और कोर्ट 4 हफ्ते बाद तय करेगा कि ये मामला बड़ी संवैधानिक पीठ को दिया जाए या नहीं.
एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा है कि उनको सिर्फ 60 याचिकाओं की कॉपी मिलीं हैं. वहीं कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट में वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वो CAA पर स्टे लगाने की मांग नहीं कर रहे हैं, वो सिर्फ इस कुछ वक्त तक टालने के लिए कह रहे हैं. उनका कहना है कि एक बार नागरिकता दिए जाने के बाद वापस नहीं ली जा सकती.
चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि वो सभी याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी करेंगे. वहीं एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमें सभी याचिकाओं का जवाब देने के लिए 6 हफ्तों का वक्त लगेगा. लेकिन सीजेआई ने कहा हम आपको 4 हफ्ते देंगे.
हाईकोर्ट न करें CAA पर सुनवाई
कपिल सिब्बल ने कहा है कि CAA की सुनवाई बड़ी संवैधानिक बेंच को करना चाहिए. इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि ‘शायद यही होना चाहिए’. सुप्रीम कोर्ट सभी हाईकोर्ट को निर्देश जारी करेगी कि वो नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली किसी याचिका की सुनवाई न करें.
असम और त्रिपुरा से जुड़े मामलो की अलग से सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि असम और त्रिपुरा से सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं की अलग से सुनवाई की जाएगी.
बता दें कि इस मामले में 140 याचिकाएं दायर की गई थी, जिन्हें सुनवाई की लिस्ट में रखा गया था. ज्यादातर याचिकाओं में CAA का विरोध किया गया था. इन याचिकाओं में CAA को गैर संवैधानिक घोषित कर रद्द करने की मांग की गई थी.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है.
पिछली सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने से मना किया था. हालांकि कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. अब सरकार ने कोर्ट में अपना जवाब सौंपा है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)