चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी ने कहा है कि वो मामले की जांच करने वाली कोर्ट की तीन जजों की समिति के सामने पेश नहीं होंगी. महिला का कहना है कि सुनवाई के दौरान उन्हें वकील तक रखने की इजाजत नहीं दी गई और अब आगे सुनवाई में हिस्सा लेना मुश्किल और सदमे जैसा है.
गंभीर चिंता और आपत्तियों की वजह से मैं आंतरिक समिति की इन कार्यवाहियों में अब भाग नहीं ले रही हूंआरोप लगाने वाली महिला
महिला की शिकायत क्या-क्या है?
- सुनवाई के दौरान वकील रखने की इजाजत नहीं दे रहे
- कमेटी की सुनवाई की ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग करने नहीं दे रहे
- मेरे बयानों की कॉपी तक नहीं दे रहे
- कमेटी किस प्रक्रिया को फॉलो कर रही है, नहीं बता रहे
- 29 अप्रैल को सुनवाई के बाद चार बाइकरों ने मेरा पीछा किया
- मीडिया से बातचीत करने से मना किया गया
- वकील से सलाह-मशविरा करने से भी किया गया मना
- ये पूछा गया कि तुमने देरी से शिकायत क्यों की
- कमिटी की सुनवाई में माहौल डर भरा
- सुनवाई में आगे हिस्सा लेना मुश्किल और सदमे जैसा
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की 35 साल की एक महिला कर्मचारी ने 19 अप्रैल को CJI पर गंभीर आरोप लगाए. महिला का कहना है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पहले सेक्सुअल हैरेसमेंट किया. फिर उसे नौकरी से बर्खास्त करवा दिया. 22 जजों को भेजे गए शपथपत्र में महिला ने कहा है कि रंजन गोगोई ने पिछले साल 10 और 11 अक्टूबर को अपने घर पर उसके साथ यौन दुर्व्यवहार किया.
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