कांग्रेस ने कहा है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को खुद तय करना चाहिए कि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर कार्रवाई पूरी होने तक उन्हें बतौर न्यायाधीश काम करना या नहीं करना है. साथ ही कांग्रेस ने ये भी साफ कर दिया है कि अगर उनका नोटिस खारिज हो जाता है, तो पार्टी इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जा सकती है.
कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘‘राज्यसभा के सभापति के फैसले को चुनौती दी जा सकती है. इसकी न्यायिक समीक्षा हो सकती है.'' उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस उम्मीद के साथ चीफ जस्टिस पर नैतिक दबाव बना रही है कि महाभियोग प्रस्ताव पेश किए जाने पर वह अपने न्यायिक जिम्मेदारी से अलग हो जाएंगे.
कांग्रेस का कहना है कि पहले भी महाभियोग का सामना करने वाले न्यायाधीश न्यायिक काम से अलग हुए थे और चीफ जस्टिस को भी यही करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ परिपाटी है, इसके लिए कोई कानूनी या संवैधानिक बाध्यता नहीं है.
बीजेपी इस पद का अपमान कर रही है: सुरजेवाला
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से बातचीत में इस मुद्दे पर कहा कि बीजेपी चीफ जस्टिस का बचाव कर न्यायपालिका के सर्वोच्च पद का अपमान कर रही है. कांग्रेस ने ये भी कहा कि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस का विवरण सार्वजनिक करने में राज्यसभा के किसी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है.
'आरोपों की सच्चाई सामने आनी चाहिए'
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा, ‘‘वे (जस्टिस मिश्रा) देश के प्रधान न्यायाधीश हैं. उनको अपने को जांच के सुपुर्द करना चाहिए. हम किसी का अपमान करने के लिए नहीं आए हैं. लेकिन इन गंभीर आरोपों की सच्चाई सामने आनी चाहिए. ऐसा होना देश और न्यायपालिका के हित में है.''
उन्होंने कहा, ‘‘जब तक नोटिस पर कार्रवाई हो रही है, तब तक प्रधान न्यायाधीश को खुद सोचना चाहिए कि उन्हें न्यायपालिका में किस तरह से भागीदारी करनी है. प्रधान न्यायाधीश का पद बहुत बड़ा होता है. यह विश्वास से जुड़ा होता है. उनको पहले विश्वास अर्जित करना चाहिए. उन्हें यह सोचना चाहिए कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उन्हें न्यायाधीश के रूप में काम करना है या नहीं.''
नोटिस का विवरण मीडिया को दिए जाने को लेकर बीजेपी के सवालों पर सीनियर वकील केटीएस तुलसी ने कहा कि 15 दिसंबर, 2009 को न्यायमूर्ति दिनाकरन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद राज्यसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने मीडिया से बात की थी. उन्होंने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस के बारे में मीडिया से बात करने पर राज्यसभा के नियमों में रोक नहीं है.
कांग्रेस और 6 अन्य पार्टियों ने दिया है नोटिस
शुक्रवार को कांग्रेस और 6 अन्य विपक्षी दलों ने चीफ जस्टिस पर ‘कदाचार' और ‘पद के दुरुपयोग' का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया था. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस देने के बाद इन दलों ने कहा कि संविधान और न्यायपालिका की रक्षा के लिए उनको भारी मन से यह कदम उठाना पड़ा है.
महाभियोग प्रस्ताव पर कुल 71 सदस्यों ने दस्तखत किए हैं, जिनमें सात सदस्य रिटायर हो चुके हैं. महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस, एनसीपी, सीपीएम, सीपीआई, एसपी, बीएसपी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के सदस्य शामिल हैं.
(इनपुट भाषा से)
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