ADVERTISEMENTREMOVE AD

कश्मीर में EU सांसदों का स्वागत,फिर हमें इजाजत क्यों नहीं-कांग्रेस

28 सदस्यीय यूरोपियन यूनियन का प्रतिनिधिमंडल कश्मीर का दौरा करेगा

Updated
भारत
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

जम्मू और कश्मीर में और आर्टिकल 370 हटाने के बाद और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद पहली बार एक विदेशी प्रतिनिधिमंडल हालात का जायजा लेने वहां जाएगा. भारत दौरे पर आया यूरोपियन यूनियन (ईयू) का 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार 29 अक्टूबर को कश्मीर घाटी में जाकर वहां की स्थिति के बारे में जानेगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

केंद्र सरकार के इस फैसले पर जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल खड़ा कर दिया. वहीं बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अनैतिक बता दिया, जबकि कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र का अपमान कह दिया.

ईयू के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल से भी मुलाकात की जिसमें आर्टिकल 370 के हटने के बाद राज्य की स्थिति पर चर्चा हुई.

6 अगस्त को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला आर्टिकल 370 खत्म करने का ऐलान किया था. इसके बाद से 5 अक्टूबर तक राज्य में सभी संचार सेवाएं बंद थीं. साथ ही राज्य के ज्यादातर नेताओं को या तो नजरबंद किया गया या हिरासत में लिया गया था.

राइट विंग पार्टियों के ही नेता शामिल

ईयू के इस 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल ज्यादातर नेता अपने-अपने देश की राइट विंग पार्टियों के सदस्य हैं. फ्रांस के 6 सांसद ले पेन की नेशनल फ्रंट से हैं, जबकि पोलैंड के 6 सांसद भी सत्तारूढ़ दक्षिणपंथी धड़े से ही हैं. प्रतिनिधिमंडल के सिर्फ 2 सदस्य गैर दक्षिणपंथी पार्टियों से हैं.

इन देशों की दक्षिणपंथी पार्टियों के सदस्य शामिल हैं-

  • ब्रिटेन की ब्रेग्जिट पार्टी- 4 सदस्य
  • जर्मनी की AFD पार्टी- 2 सदस्य
  • फ्रांस की नेशनल पार्टी- 6 सदस्य
  • स्पेन की VOX पार्टी- 1 सदस्य
  • पोलैंड की सत्तारूढ़ ‘लॉ एंड जस्टिस पार्टी’- 6 सदस्य
  • इटली की Lega Nord पार्टी- 2 सदस्य
  • बेल्जियम की Vlaams Belang पार्टी- 1 सदस्य
  • स्लोवाकिय की ऑर्डिनर पार्टी- 1 सदस्य (कंजर्वेटिव पार्टी)
  • इटली की यूरोपियन पीपल्स पार्टी- 1 सदस्य (सेंटर-राइट)
  • चेक रिपब्लिक की KDU-CSL पार्टी- 1 सदस्य (क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी)

इनके अलावा इटली और ब्रिटेन के भी एक-एक सदस्य इसमें शामिल हैं, जो गैर दक्षिणपंथी धड़े से जुड़े हुए हैं.

0

सरकार के इस फैसले पर जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष मेहबूबा मुफ्ती ने भी हैरानी जताई और सरकार के इरादों पर सवाल खड़े कर दिए. मेहबूबा ने कई ट्वीट किए और उम्मीद जताई कि ईयू के प्रतिनिधिमंडल को स्थानीय लगोों से और स्थानीय मीडिया से बात करने का मौका दिया जाएगा.

मेहबूबा ने साथ ही ये भी सवाल उठाया कि अगर ईयू के प्रतिनिधमंडल को कश्मीर जाने का मौका दिया जा रहा है तो यही मौका अमेरिकी सीनेट के सदस्यों को क्यों नहीं दिया जाता.

मेहबूबा ने सरकार के इस कदम को विदेश नीति में गड़बड़ी बताया और लिखा कि सरकार फासीवादी और प्रवासी विरोधी यूरोपियन सांसदों से संवाद कर रही है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कहीं तो कुछ गलत हैः राहुल

वहीं कांग्रेस ने इस मसले पर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार के इस कदम को गलत बताया. राहुल ने ट्वीट कर लिखा,

“यूरोप के सांसदों का देश में स्वागत किया जा रहा है और उन्हें जम्मू और कश्मीर के गाइडेड टूर पर ले जाया जा रहा है, जबकि भारतीय सांसदों को बैन किया गया है और उन्हें कश्मीर में घुसने भी नहीं दिया जा रहा. इस सबमें कुछ बेहद गलत है.”       

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारतीय नेताओं को वहां जाने की अनुमति नहीं देना और विदेश के नेताओं को इजाजत देना देश की संसद एवं लोकतंत्र का पूरी तरह अपमान है.

पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा,

‘‘जब भारतीय नेताओं को जम्मू-कश्मीर के लोगों से मुलाकात करने से रोक दिया गया तो फिर राष्ट्रवाद के चैम्पियन होने का दावा करने वालों ने यूरोपीय नेताओं को किस वजह से जम्मू-कश्मीर का दौरा करने की इजाजत दी ?’’

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि आज भी भारतीय सांसदों को जाने की इजाजत नहीं दी जा रही.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये दौरा अनैतिक- स्वामी

ईयू के इस प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर ले जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने सवाल उठा दिया है. सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर विदेश मंत्रालय के इस फैसले को राष्ट्रीय नीति के खिलाफ बताते हुए अनैतिक घोषित किया.

“मैं इस बात से हैरान हूं कि विदेश मंत्रालय, निजी हैसियत से भारत आए यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधिमंडल (ईयू का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं) को कश्मीर दौरे पर ले जा रहा है. ये हमारी राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है. मैं सरकार से इस दौरे को रद्द करने की गुजारिश करता हूं क्यों कि ये अनैतिक है.”
सुब्रमण्यम स्वामी

दरअसल, भारत सरकार ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जम्मू-कश्मीर पर अपने फैसले को भारत का आंतरिक मसला बताया है. ऐसे में सुब्रमण्यण स्वामी सरकार की इस नीति के आधार पर ही विदेशी नेताओं के इस अनाधिकारिक दौरे पर सवाल उठाते हुए इसे गलत बता रहे हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×