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NEET और JEE परीक्षा करवाएं या नहीं, जरा अमेरिका की हालत देख लीजिए

अमेरिका में जुलाई के आखिरी दो हफ्तों में 97,000 से ज्यादा बच्चे संक्रमित

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भारत
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NEET और JEE की परीक्षाओं को लेकर घमासान मचा हुआ है. बड़े पैमाने पर लोग इस तरह की परीक्षाओं को टालने की मांग कर रहे हैं. स्कूल खोलने की बातों का भी इसी तरह विरोध हो रहा है.

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इस बीच बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर NEET और JEE परीक्षाओं की तारीख आगे बढ़वाने की मांग की है. उन्होंने तो यहां तक कहा कि अगर महामारी के बीच परीक्षाएं करवा दी गईं, तो कई युवा आत्महत्या तक कर लेंगे.

इस पूरे मामले में, परीक्षाएं करवाने और स्कूल खोलने को लेकर कुछ बुनियादी सवालों के जवाब जानना जरूरी है. जैसे:

  • कहा जा रहा है कि स्कूलरूम में तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो जाएगा. लेकिन सवाल उठता है कि स्कूल तक बच्चों के सुरक्षित पहुंचने की जवाबदेही कौन तय करेगा. स्कूल तक पहुंचने के लिए बहुत सारे बच्चों को ट्रांसपोर्ट का सहारा लेना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा.
  • भारत में कोरोना के कुल मामले 29 लाख का आंकड़ा पार कर चुके हैं, यह स्थिति भी तब है, जब हमारे देश में कड़ाई से लॉकडाउन लागू किया गया था. ऐसे में स्कूल बड़े मीटिंग कॉम्प्लेक्स के तौर पर बन सकते हैं, जहां कोरोना का खतरा किसी भी दूसरी जगह से ज्यादा होगा.
  • यह तो हुई स्कूल की बात, लेकिन ऑनलाइन भी परीक्षा करवाना सही फैसला नजर नहीं आता. देश के बड़े हिस्सों में नेटवर्क की समस्या है, बहुत बड़ी आबादी के पास ऑनलाइन पेपर देने में इस्तेमाल होने वाले संसाधन (लैपटॉप, स्कैनर, तेज स्पीड इंटरनेट) तक पहुंच नहीं है.
  • हाल में दिल्ली यूनिवर्सिटी में ओपन बुक एग्जाम करवाए गए, जिनमें हाथ से पेपर लिखकर, एक घंटे के भीतर स्कैन करने का विकल्प दिया गया था. कई लोगों ने शिकायत में कहा कि इतने कम वक्त में निजी स्कैनर न होने के चलते 20-25 पेज अपलोड करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अपलोड को लेकर भी लोगों को दिक्कतें हुईं.
  • ऑनलाइन परीक्षाएं करवाने में लेवल प्लेइंग फील्ड का ना होना भी कुछ छात्रों का दिक्कत भरा हो सकता है. जिन छात्रों को इंटरनेट तक पहुंच नहीं है, इस बात की संभावना कम है कि उन्होंने अपने सिलेबस का बहुत बेहतर ढंग से अध्ययन किया होगा.

जुलाई के आखिर में अमेरिका में 97000 बच्चे संक्रमित:

'अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स' की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई के आखिरी दो हफ्तों में करीब 97000 बच्चों में कोरोना संक्रमण पाया गया. कुल मिलाकर वहां 3,38,000 से ज्यादा बच्चे संक्रमित हो चुके हैं. इनमें बड़ी संख्या स्कूलों में संक्रमित हुए बच्चों की है.

अमेरिका के जॉर्जिया में एक स्कूल में 100 से ज्यादा बच्चे संक्रमित पाए गए, जिसके चलते 1600 से ज्यादा छात्रों और स्कूल स्टॉफ को क्वारंटीन करना पड़ा. इसी तरह की चीजें मिसिसिपी, टेनेसी, नेब्रास्का और दूसरे राज्यों में भी हुईं, जिसके बाद इन राज्यों में ऑनलाइन टीचिंग वापस अपनाई गई.

स्कूल खोलने की बात पर डॉ फौची

अमेरिका के मशहूर इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ एंथनी फौची के मुताबिक, स्कूल और कॉलेजों में कोरोन वायरस के लिए ज्यादा बड़ी चुनौती रहेगी. क्योंकि वहां अलग-अलग जगह से बच्चे आते हैं, जिनसे संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा बड़ा हो जाता है.

उन्होंने इस पर भी शक जताया कि कॉलेज-स्कूलों के पास इतने संसाधन होंगे कि वे हर बच्चे की कैंपस में आने से पहले स्क्रीनिंग करवाएं, जरूरी टेस्टिंग करवा सकें या फिर हॉस्टल में ठीक तरीके से संक्रमित बच्चों को आइसोलेशन में रख सकें.

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