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हर महीने बन रहे 8 करोड़ वैक्सीन डोज, फिर 5 करोड़ ही क्यों लग रहे?

अच्छा-खासा प्रोडक्शन होने के बावजूद कोविड वैक्सीन की भारी कमी चल रही है

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देश में कोविड वैक्सीन की भारी कमी चल रही है. इस वजह से कुछ राज्यों में 18 प्लस के लिए वैक्सीनेशन रोक दिया गया है. हालांकि, अगर प्रोडक्शन के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो वैक्सीन कमी की वजह समझ नहीं आती है. क्योंकि अगर सरकार और वैक्सीन मैन्युफेक्चरर्स के आंकड़ों पर विश्वास किया जाए तो भारत में हर दिन करीब 27 लाख डोज प्रोड्यूस हो रही हैं लेकिन हर दिन लगने वाली डोज इससे बहुत कम है.

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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मई के शुरुआती तीन हफ्तों में औसतन 16.2 लाख डोज प्रतिदिन दी गई हैं. राज्य भी वैक्सीन कमी की शिकायत कर रहे हैं, लेकिन जब देश में 27 लाख डोज प्रोड्यूस हो रही हैं तो ये नौबत क्यों आ रही है?

प्रोडक्शन ज्यादा फिर भी वैक्सीनेशन कम

TOI की रिपोर्ट कहती है कि केंद्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दिया था. इसमें बताया गया कि सीरम इंस्टीट्यूट हर महीने 6.5 करोड़ Covishield और भारत बायोटेक हर महीन 2 करोड़ डोज Covaxin बना रहे हैं.

सरकार ने बताया कि भारत बायोटेक की प्रोडक्शन कैपेसिटी जुलाई तक 5.5 करोड़ डोज हो जाएगी. इसके अलावा Sputnik का प्रोडक्शन भी जुलाई तक 30 लाख प्रति महीने से बढ़कर 1.2 करोड़ होने की उम्मीद है.  

सीरम इंस्टीट्यूट खुद कह चुका है कि उसका प्रोडक्शन महीने का 6-7 करोड़ है. भारत बायोटेक के CMD कह चुके हैं कि कंपनी अप्रैल में 2 करोड़ और मई में 3 करोड़ डोज बना रही है.

बाकी बची डोज कहां हैं?

अगर मान लिया जाए कि मई में सीरम और भारत बायोटेक ने कुल मिलाकर 8 करोड़ वैक्सीन डोज प्रोड्यूस की हैं, तो एक दिन का औसत करीब 27 लाख डोज आएगा.

अब अगर देश में वैक्सीनेशन का आंकड़ा देखा जाए तो मई के शुरुआती 22 दिनों में 3.6 करोड़ डोज दी गई हैं. ये औसत आता है करीब 16 लाख डोज. अगर इसी औसत पर महीने के बाकी बचे दिन भी वैक्सीनेशन होता है तो मई के अंत तक करीब 5 करोड़ दी गई होंगी.  

वैसे तो वैक्सीनेशन का आंकड़ा पिछले कुछ दिनों से लगातार गिर रहा है, फिर भी अगर 16 लाख को औसत मान कर चला जाए और 5 करोड़ डोज एक महीने में दी जाएं तो बाकी बची 3 करोड़ डोज का क्या हुआ?

एक संभावना ये हो सकती है कि बची हुई डोज निजी अस्पतालों का वो कोटा हो, जो केंद्र सरकार ने 18 प्लस वैक्सीनेशन के समय बताया था. अगर ऐसा है तो ये अस्पतालों तक क्यों नहीं पहुंच रहा क्योंकि वैक्सीनेशन के आंकड़े साफ बता रहे हैं कि ऐसा नहीं हो रहा है.

अगर डील न हो पाने या और किसी वजह से वैक्सीन मैन्युफेक्चरर निजी अस्पतालों को वैक्सीन नहीं दे रहे हैं तो इन वैक्सीनों को राज्यों को क्यों नहीं दिया जा सकता है? ऐसा करने से धीमा हो चुका वैक्सीनेशन प्रोग्राम रफ्तार पकड़ेगा.

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