प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल को देश के नाम संबोधन में लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ाने के साथ ही लोगों से सात अपील की थीं. इनमें से एक अपील 'आरोग्य सेतु' ऐप डाउनलोड करने को लेकर थी. ये पहली बार नहीं था जब पीएम मोदी ने लोगों को ये ऐप डाउनलोड करने को कहा था. 9 अप्रैल को पीएम ने इस बात के लिए ट्वीट भी किया था.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 15 अप्रैल को लॉकडाउन बढ़ने के बाद दिशा निर्देशों का एक नया आदेश जारी किया था. इसमें डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के लिए एक निर्देश ये भी था कि:
पब्लिक और प्राइवेट कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए.
तो क्या इसका मतलब ये है कि सब लोगों को ये ऐप डाउनलोड करन होगा? और कोई अगर इसे डाउनलोड करने के लिए कहे तो क्या ये लीगल है?
‘आरोग्य सेतु’ ऐप क्या है?
केंद्र सरकार ने 2 अप्रैल को आरोग्य सेतु ऐप लॉन्च किया था. ये एक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप है. इसके जरिए यूजर जान सकता है कि वो किसी कोरोना वायरस संक्रमित शख्स के संपर्क में आया है कि नहीं.
जब ऐप डाउनलोड किया जाता है, तो वो यूजर से उसकी यात्रा, किसी संभावित संक्रमित शख्स के संपर्क में आने जैसे सवाल पूछता है. इनके जवाब देने पर एक यूनिक आईडी मिलती है और ऐप उन सभी लोगों की डिटेल रखता है जो यूजर के संपर्क में आते हैं और जिनके फोन में ये ऐप हो. इसके लिए ऐप ब्लूटूथ और लोकेशन डेटा का इस्तेमाल करता है.
जिसके पास ये ऐप है और वो COVID-19 के लिए पॉजिटिव टेस्ट होता है, तो ऐप उसके संपर्क में आए सभी लोगों को जानकारी देता है. इस शख्स के संपर्क में आए सभी लोगों की जानकारी सरकार टार्गेटेड टेस्टिंग और क्वारंटीन करने के लिए इस्तेमाल कर सकती है.
क्या इस समय ये ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य है?
अभी सरकार की तरफ से इसे डाउनलोड करने को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं. पीएम मोदी का भाषण और गृह मंत्रालय की गाइडलाइन में इस ऐप के डाउनलोड को बढ़ावा देने की बात कही गई है.
हालांकि, कुछ सरकारी कर्मचारियों को ये ऐप अनिवार्य रूप से डाउनलोड कराया जा रहा है. इनमें प्रसार भारती (DD और AIR) का स्टाफ और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस फोर्स (CRPF, BSF, और भी कई) के कर्मचारी शामिल हैं.
क्या किसी राज्य सरकार या स्थानीय प्रशासन ने इस ऐप के डाउनलोड को अनिवार्य बनाया?
किसी भी राज्य में आरोग्य सेतु ऐप के डाउनलोड को लेकर कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. हालांकि, स्थानीय प्रशासन से चेक कर सकते हैं क्योंकि लॉकडाउन लागू कराने की जिम्मेदारी डीएम की है.
उदाहरण के लिए यूपी के संत कबीर नगर के डीएम ने इस ऐप के डाउनलोड को लेकर आदेश जारी किया है. आदेश के मुताबिक, स्मार्टफोन रखने वाले लोगों के लिए ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य है. ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है.
वैध तौर पर क्या इस ऐप के डाउनलोड को अनिवार्य किया जा सकता है?
इसका जवाब थोड़ा मुश्किल है.
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 और एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 केंद्र और राज्य सरकारों को काफी ज्यादा अधिकार देते हैं. इसके इस्तेमाल से ऐप का डाउनलोड अनिवार्य किया जा सकता है.
हालांकि वकीलों का कहना है कि अगर सरकार इस ऐप को अनिवार्य करती है और ये ऐप लोगों का डेटा और उनकी आवाजाही को रिकॉर्ड करता है तो निजता के अधिकार का मामला बनता है. केंद्र या राज्य सरकार या फिर डीएम अगर ऐसा आदेश देते हैं, तो साफ बताना पड़ेगा कि आदेश का लीगल आधार क्या है. ऐसा न करने पर आदेश सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार पर फैसले का उल्लंघन होगा.
तो क्या आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना वॉलंटरी है?
ऐसा देखा गया है कि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के अलावा भी ऐप कई चीजों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐप इंटरफेस कहता है कि लॉकडाउन में आवाजाही के ई-पास की सुविधा भी जल्द उपलब्ध कराई जाएगी. इसके अलावा ऐप के जरिए पीएम केयर्स फंड में भी डोनेट किया जा सकता है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे मैसेज लोगों के लिए सोशल प्रेशर की तरह काम करते हैं. एक्सपर्ट्स इस ऐप को बिना सरकारी आदेश के जरूरी बनाए जाने की कोशिशों के बारे में आगाह करते हैं. वरिष्ठ अधिकारियों का निचले लेवल के कर्मचारियों को ऐप डाउनलोड करने का आदेश देना या ई-पास के लिए ऐप का होना इन्हीं कुछ कोशिशों में से एक हो सकती हैं.
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