“प्रशासन मुझे इन मजदूरों को खाना खिलाने के लिए कह रहा है. मैं उन्हें कैसे खिला सकता हूं? आप मुझे बताएं कि मैं उन्हें कितनी बार खिला सकता हूं? आखिरकार मुझे अपने परिवार को भी पालना है? वे खुद यहां आकर इस मुद्दे को क्यों नहीं सुलझाते? अगर उन्हें नहीं खिलाया गया तो वे मर जाएंगे. क्या सरकार हमारे विवेक पर इसे छोड़ने की उम्मीद करती है?” लुबाना सरपंच करमजीत सिंह ने पंजाब के पटियाला जिले के अपने गांव से द क्विंट को ये बातें बताई.
सरकार द्वारा मनरेगा के तहत 100 दिनों के काम की गारंटी दिए जाने वाले इन दिहाड़ी मजदूरों पर इस लॉकडाउन ने कैसे कहर ढाया है, इस बात पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए वे 26 मार्च को दोपहर को अपने घर की छतों पर खड़े होकर बर्तन बजा रहे थे. एक दिन बाद सरपंच ने हमें बताया कि उनकी असामान्य दलीलों के बावजूद राशन या दूध की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
ये ग्रामीण लुबाना, कैदूपुर और कांसुहा गांव के हैं जो पटियाला जिले के नाभा संभाग में मौजूद है. हमने पंचायत सचिव दीदार सिंह से बात की, जो लुबाना और कैदूपुर गांव के लिए काम करते हैं. उन्होंने थाली बजाने की बात की पुष्टि की, और कहा कि इन ग्रामीणों ने वही किया जो वे कर सकते हैं. उन्होंने कहा, “आपको डिप्टी कमिश्नर से पूछना चाहिए या चंडीगढ़ में किसी से बात करनी चाहिए कि उनका क्या होगा. हम केवल इतना ही कर सकते हैं. हमारा काम स्थानीय अधिकारियों को बताना था और हमने उन्हें बताया है.”
उन्होंने इस रिपोर्टर को महिलाओं की ये तस्वीरें भेजी और कहा, “कृपया इसे मीडिया में फैलाएं. समस्या यह है कि उनके पास पैसा नहीं है, राशन खरीदने के लिए बाहर जाने से हर कोई इतना डरता है, क्योंकि पुलिस लोगों की पिटाई कर रही है और सब्जियों और दूध के लिए कोई आसपास कोई प्रावधान नहीं है, वे रियायती दरों पर भी जरूरी चीजें खरीद नहीं सकते हैं और हम उन्हें खिलाते नहीं रह सकते. बेहतर समाधान की जरूरत है.”
कांसुहा गांव के गुरतेज सिंह बाहर निकलने से डरते हैं. वे बताते हैं, “बेशक, ऐसा हुआ है और यह बहुत डरावना है. अगर लोगों के पास काम नहीं है तो वे क्या करेंगे? यहां इतना नुकसान हो रहा है और अगर कोई इन लोगों को नहीं खिलाएगा तो वे मर जाएंगे. एक पड़ोसी जो एक किसान है, अपनी जमीन पर मटर उगा रहा था. उसके पास मटर की फसल कटाई के लिए मजदूर नहीं था और वह खुद भी बाहर निकलने से डर रहा था. आखिरकार पूरा फसल सूखकर बेकार हो गया. उस किसान को भी नुकसान हुआ और उन मजदूरों को भी, जो इसकी कटाई करके पैसे कमा सकते थे."
उसी दिन, जब इन ग्रामीणों ने थालियां बजाईं, पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह, जो संयोग से पटियाला के रहने वाले हैं, उन्होंने कहा कि दिहाड़ी मजदूरों और असंगठित मजदूरों को खाना देने के लिए डोर-टू-डोर अभियान 27 मार्च से शुरू किया जाएगा.
इस स्टोरी के छपने तक ग्रामीणों को लॉकडाउन में ज़िंदा रहने के लिए राशन हासिल करने करने का बेसब्री से इन्तजार था, जबकि देश-दुनिया में COVID-19 महामारी बढ़ती जा रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)