जम्मू-कश्मीर में वैश्विक अमरनाथ यात्रा इस बार कोरोना वायरस महामारी के साये में होने वाली है. श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने ऐलान किया है कि यात्रा 21 जुलाई से 3 अगस्त तक सिर्फ 15 दिन चलेगी. बोर्ड को अभी अंतिम जवाब सरकार से मिलना बाकी है. हालांकि महामारी के बीच यात्रा किस तरह होगी, यहां जानिए.
अमरनाथ यात्रा में किसे हिस्सा लेने की इजाजत होगी?
- साधुओं के अलावा 55 साल से ऊपर के किसी भी श्रद्धालु को इजाजत नहीं मिलेगी.
- सिर्फ बिना लक्षण वाले लोगों को ही यात्रा पर जाने की इजाजत होगी.
- ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वाले श्रद्धालुओं को इजाजत मिलेगी.
यात्रा करने के लिए लोगों को COVID-19 टेस्ट में निगेटिव आना होगा?
हिंदुस्तान टाइम्स से एक अधिकारी ने बताया कि यात्रा पर जाने वाले लोगों के पास COVID-19 टेस्ट निगेटिव का सर्टिफिकेट जरूर होना चाहिए.
ICMR की गाइडलाइन कहती है कि जो बिना लक्षण वाले लोग किसी COVID-19 पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में नहीं आए हैं, उनका टेस्ट नहीं होगा.
इसलिए इस मामले को लेकर बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है.
क्या अमरनाथ यात्रा का रूट बदला है?
यात्रा अब एक छोटे रूट से होगी, जो बालटाल से अमरनाथ की गुफा तक जाएगा. महामारी की वजह से पहलगाम वाला लंबा रास्ता इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
बालटाल वाला रूट सिर्फ 14 किमी है, जबकि पहलगाम वाला रास्ता 45 किमी लंबा है.
क्या ये पहली बार है जब अमरनाथ यात्रा का रूट कम किया गया है?
नहीं, 2019 में भी आतंकी हमलों के खतरों की वजह से केंद्र सरकार ने रूट कम कर दिया था. ये आर्टिकल 370 हटाए जाने से पहले की बात है.
क्या लोगों की संख्या पर भी कोई पाबंदी है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोजाना सिर्फ 2000 यात्रियों को इजाजत दी जाएगी. हालांकि सरकार इस संबंध में जल्दी ही ऐलान करेगी.
मैं अमरनाथ यात्रा के लिए दिल्ली से जम्मू-कश्मीर जाना चाहता हूं. क्या मुझे राज्य में क्वॉरंटीन होना होगा?
अभी तक जम्मू-कश्मीर सरकार के निर्देश ये हैं कि जो भी शख्स राज्य में प्रवेश करेगा, उसके लिए 14 दिन का क्वॉरंटीन इंस्टीट्यूशन में जरूरी है. लेकिन ये बात साफ नहीं है कि अमरनाथ यात्रियों के लिए भी ये नियम लागू होगा या नहीं.
धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- फेस मास्क पहने लोगों को ही एंट्री मिलेगी.
- अगर अपना वाहन है, तो चप्पल-जूते उसी में उतारें.
- एंट्री के समय लाइन में लगते समय और बाकी हर वक्त भी, 6 फीट की सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें.
- धार्मिक स्थल में प्रवेश से पहले लोगों को हाथ-पैर साबुन से धोने चाहिए.
- बैठने की व्यवस्था सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर होनी चाहिए.
- श्रद्धालुओं को मूर्ति या ग्रन्थ छूने की इजाजत नहीं होगी.
धार्मिक स्थलों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- लोगों के लिए हैंड सैनिटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था हो.
- लोगों को बैच में अंदर बुलाएं.
- धार्मिक स्थल के अंदर या बाहर किसी तरह का कैफेटेरिया या दुकान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे.
- धार्मिक स्थल में सोशल डिस्टेंसिंग मार्कर लगाए जाएं.
- लोगों के लिए एंट्री और एग्जिट पॉइंट अलग-अलग हों.
- गाने वाले समूह के इस्तेमाल की जगह रिकॉर्डेड भक्ति संगीत बजाएं.
- किसी भी तरह का लंगर, भंडारा करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)