इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने 3 मई को बताया कि उसने अब तक दस लाख से अधिक कोरोन वायरस आरटी-पीसीआर टेस्टिंग किए हैं. ICMR के मुताबिक, देश में अबतक 10,46,450 नमूनों का परीक्षण किया गया है.
फिलहाल, देश में कम से कम 310 सरकारी प्रयोगशालाएं और 111 निजी प्रयोगशालाएं हैं, जो कोरोनोवायरस बीमारी के लिए परीक्षण करती हैं.
कोरोना वायरस महामारी के दौर में टेस्टिंग ही एक ऐसा जरिया है, जिससे देश में इस बीमारी के संक्रमण का सही अंदाजा लगाया जा सकता है. ऐसे में जब देश में 10 लाख से ज्यादा टेस्टिंग हो चुकी है तो आखिर हम दूसरे देशों के मुकाबले संक्रमण की तुलना में कहां है, इसके लिए जानते हैं अमेरिका, जर्मनी, स्पेन, तुर्की, इटली जैसे देशों के आंकड़े.
- अमेरिका में 10 लाख सैंपल की टेस्टिंग के बाद 164,620 केस सामने आए थे
- जर्मनी में 10 लाख सैंपल की टेस्टिंग के बाद 73,522 केस सामने आए थे
- स्पेन में 10 लाख सैंपल की टेस्टिंग के बाद 200,194 केस सामने आए थे
- तुर्की में 10 लाख सैंपल की टेस्टिंग के बाद 117,589 केस सामने आए थे
- इटली में 10 लाख सैंपल की टेस्टिंग के बाद 152,271 केस सामने आए थे
- भारत में 10 लाख सैंपल की टेस्टिंग के बाद 39,980 केस सामने आए थे
बता दें कि ये आंकड़े पीआईबी ने जारी किए हैं.
हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से 3 मई शाम को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में कुल कोरोना वायरस केस की संख्या बढ़कर 40,263 हो गई है. अबतक 1306 लोगों ने अपनी जान गंवाई है, वहीं 10887 लोग ठीक हो चुके हैं. पिछले 24 घंटे में देश में कुल 2487 नए केस रिपोर्ट किए गए और 83 लोगों की मौत हुई है.
ऊपर दिए गए आंकड़ों से तो ये दिख रहा है कि इन 5 देशों की तुलना में भारत में संक्रमण की रफ्तार धीमी है.
देश में 21 मई के बाद कोरोना के नए मामले आना बंद हो सकते हैं: स्टडी
COVID-19 को लेकर मुंबई स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एंड पब्लिक पॉलिसी के एक पेपर में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत के 11 राज्यों में 7 मई कोरोना वायरस के नए मामले सामने आने की आखिरी तारीख हो सकती है. हालांकि, इस पेपर के ऑथर नीरज हाटेकर और पल्लवी बेल्हेकर का कहना है कि नए मामलों का बंद होना संक्रमण रोकने के लिए अपनाए जा रहे उपायों पर निर्भर करेगा. अंग्रेजी अखबार द इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, पेपर के ऑथर्स का मानना है कि भारत के लिए 21 मई नए कोरोना केस सामने आने की आखिरी तारीख हो सकती है.
हालांकि पेपर में बड़े पैमाने पर प्रवासी कामगारों के मूवमेंट के मामले पर राज्यों से सतर्क रहने को कहा गया है क्योंकि इसकी वजह से लॉकडाउन के चलते सुधरी स्थिति प्रभावित हो सकती है, जिससे आगे समस्या बढ़ सकती है.'
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