चौदह फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में 40 जवानों को गंवाने के ठीक बाद जांबाजों से भरा यह अर्द्धसैनिक बल एक दूसरे मोर्चे पर डट गया था. सीआरपीएफ के जवान दिल्ली के एक दफ्तर में बैठ कर अपने कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर आई तस्वीरों की बाढ़ से जूझ रहे थे.
नफरत फैलानी वाली तस्वीरों से जंग
सीआरपीएफ के कंप्यूटरों और स्मार्टफोन्स पर पुलवामा अटैक से जुड़ी ऐसी हजारों तस्वीरों की बाढ़ आ गई थी, जो सांप्रदायिक सदभाव को पलीता लगा रही थीं. सीआरपीएफ के डीआईजी और मुख्य प्रवक्ता एम दिनाकरण ने इन तस्वीरों का हवाला देते हुए कहा कि सोशल मीडिया और कुछ ऐसी पोस्ट थीं जो हमारे जवानों का सीधे अपमान कर रही थीं. हमने ऐसी उम्मीद नहीं थी. सांप्रदायिकता फैलाने के लिए तो उन्होंने अपनी शहादत नहीं दी थी.
दिनाकरण ने कहा कि सांप्रदायिकता फैलाने वाली इन भयावह तस्वीरों को देखने के बाद हमने ठान लिया था इस समस्या से निपटने के लिए कुछ करना होगा. इसके बाद हमने अपने संगठन की ओर से फैक्ट चेकिंग टीम बनाई.दिनाकरण ने कहा कि दिल्ली और कुछ क्षेत्रीय दफ्तरों में 12 से 15 लोगों की टीम 14 फरवरी से हर रोज इस तरह की अफवाह फैलाने वाली के कम से कम पांच पोस्ट को हटाती हैं.
सीआरपीएफ के एक सीनियर ऑफिसर ने कहा कि एक तरह हमारे साथी पुलवामा के शहीदों के अंतिम संस्कार में व्यस्त थे तो दूसरी ओर सोशल मीडिया पर लगातार फेक न्यूज और फोटों की बारिश हो रही थी. व्हाट्सऐप पर गलत और नकली तस्वीरें सर्कुलेट रही थीं. कुछ ऐसी पोस्ट थीं, जिनसे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता था. अब हमने ऐसी तस्वीरों और पोस्ट की निगरानी शुरू कर दी है.
निगरानी करो, एनालिसिस करो और खत्म कर दो
इस अफसर ने बताया कि ऐसी नफरत भरी पोस्ट की निगरानी और इन्हें खत्म करने के लिए तीन स्तर की रणनीति अपनाई जा रही है. पहले इन्हें मॉनिटर किया जाता. फिर इन पोस्ट और तस्वीरों की एनालिसिस होती है और फिर इन्हें नष्ट कर दिया जाता है. साधारण रिसर्च और सर्च के जरिये इन तस्वीरों की असलियत पता कर ली जाती है.
तीन लाख सीआरपीएफ कर्मियों से अपील
सबसे बड़ा सवाल ये कि इन नकली और अफवाह फैलाने वाली पोस्ट और तस्वीरों को कैसे प्रभावी ढंग से पहचान कर उन्हें हटाया जाए. सीआरपीएफ के पास अपने सिपाहियों की सबसे बड़ी टीमों में से एक है. इस अभियान के लिए तीन लाख सीआरपीएफकर्मियों से संपर्क किया गया है. उन्हें लगातार यह मैसेज किया जा रहा है कि ऐसे नकली और नफरत फैलानी वाली पोस्ट और फोटो से सावधान रहें और दूसरों को भी सतर्क करें. अपने ऑफिशियल ग्रुप और पर्सनल ग्रुप पर इस तरह के मैसेज भेज कर फेक न्यूज और फोटों के खिलाफ भी एक जंग लड़ें.
इनपुट : बूमलाइव.इन
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