दिल्ली हाई कोर्ट ने सीएम केजरीवाल के आवास पर मुख्य सचिव के साथ मारपीट मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक प्रकाश जारवाल को जमानत दे दी है. जारवाल को दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने जारवाल की जमानत याचिका शुक्रवार को मंजूर कर ली. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर एक बैठक के दौरान मुख्य सचिव के साथ कथित तौर पर मारपीट का मामला सामने आने के एक दिन बाद 20 फरवरी को जारवाल को गिरफ्तार किया गया था. अदालत ने इससे पहले देवली से विधायक जारवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सेशन कोर्ट ने खारिज कर दी थी अर्जी
कोर्ट ने कहा था कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जहां राज्य और अधिकारी असुरक्षित महसूस करते हैं और एक- दूसरे द्वारा डराए- धमकाए जाते हैं. इसी मामले में गिरफ्तार ओखला से विधायक अमानतुल्ला खान की जमानत याचिका भी कोर्ट के पास लंबित है.
इससे पहले एक मजिस्ट्रेटी कोर्ट ने दोनों की जमानत नामंजूर कर दी थी और कहा था कि मामले को “लापरवाह और सामान्य तरीके” से नहीं लिया जा सकता. साथ ही कोर्ट ने दोनों को “हिस्ट्री- शीटर” बताया था. जारवाल ने इसके बाद एक सेशन कोर्ट का रुख किया, जहां फिर उन्हें राहत नहीं मिली. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि इससे ज्यादा चिंताजनक स्थिति नहीं हो सकती कि कानून बनाने वाले ही विधि के शासन का सम्मान नहीं कर रहे.
मुख्य सचिव ने AAP विधायकों पर लगाया था मारपीट का आरोप
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया था कि आम आदमी पार्टी(आप) के विधायक अमानतुल्लाह खान और एक अन्य विधायक ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने उनके सरकारी आवास में उनसे मारपीट की. हालांकि, आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज किया था.
प्रकाश ने पुलिस शिकायत में कहा, "विधायक अमानातुल्लाह खान और मेरी बाई तरफ खड़ा विधायक/व्यक्ति, जिसकी पहचान मैं कर सकता हूं, ने मेरी तरफ से बिना किसी उकसावे के मुझे पीटना शुरू कर दिया। उन्होंने मुझे मेरे सिर और कनपटी पर कई बार मारा. इस दौरान मेरा चश्मा जमीन पर गिर गया और मैं पूरी तरह 'सदमे की स्थिति' में पहुंच गया. घटना के बाद मैं किसी तरह कमरे से बाहर जाने, अपनी आधिकारिक कार में बैठने और मुख्यमंत्री आवास को छोड़ने में सफल हुआ."
मुख्य सचिव ने अपनी शिकायत में कहा था कि कमरे में मौजूद किसी ने भी उन्हें बचाने का प्रयास नहीं किया.
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