जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद को दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को बड़ी राहत दी है. सोशल मीडिया पर भारतीय सेना को बदनाम करने के कथित मामले में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को शेहला राशिद को गिरफ्तार करने की स्थिति में 10 दिन पहले गिरफ्तारी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है. दिल्ली की अदालत ने ये फैसला शेहला राशिद की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनाया है.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 सितंबर को शेहला राशिद के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया था. शेहला पर जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में फर्जी खबरें फैलाने का आरोप है.
शेहला की गिरफ्तारी की मांग करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील आलोक श्रीवास्तव की शिकायत पर आपराधिक शिकायत के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. शेहला जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से पीएचडी कर रही हैं.
‘सेना की छवि धूमिल कर रहीं हैं शेहला’
शेहला के खिलाफ दर्ज शिकायत में कहा गया है कि वो अपने ट्वीट से देश की सेना की छवि खराब करना चाहती हैं. साथ ही शेहला जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने की भी कोशिश की. शिकायत के मुताबिक, शेहला समुदायों के बीच नफरत फैलाने, दूरियां बढ़ाने और उनके भाई चारे को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं.
शेहला राशिद ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘’लोगों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस का लॉ एंड ऑर्डर पर कोई नियंत्रण नहीं है. उनका अधिकार ले लिया गया है. सबकुछ अर्धसैनिक बलों के पास है. एक एसएचओ का तबादला सीआरपीएफ के जवान की शिकायत पर हो गया. एसएचओ सिर्फ मशालें लेकर घूम रहे हैं. उनके पास सर्विस रिवॉल्वर भी नहीं है.’’
शेहला राशिद ने 18 अगस्त को कई ट्वीट किए थे, जिसमें ये आरोप लगाया था कि सेना कश्मीर के लोगों पर अत्याचार कर रही है. इन ट्वीट्स को लेकर शेहला विवादों में भी घिर गई थीं. बाद में सेना ने भी सभी आरोपों का खंडन किया था.
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