दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बलात्कार के आरोप में एक टीवी एंकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए ये कहा कि, अगर महिला ने कोर्ट के सामने ये कहा है कि जो कुछ भी हुआ, उसमें उसकी सहमति नहीं थी तो कोर्ट भी ये मानकर चलेगा कि उसने सहमति नहीं दी थी. कोर्ट ने टीवी एंकर वरुण हिरेमथ की जमानत याचिका पर सुनवाई की.
आरोपी को जमानत देने के पक्ष में नहीं- कोर्ट
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, पटियाला हाउस कोर्ट की फास्ट ट्रैक कोर्ट में एडिशनल सेशंस जज संजय खनगवाल ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि,
“आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों के नेचर को देखते हुए, उसके खिलाफ आईओ के जमा किए गए सबूतों, तथ्यों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए मैं आरोपी को अग्रिम जमानत देने के पक्ष मे नहीं हूं.”
आरोपी पक्ष ने कहा- महिला की सहमति थी
इस केस पर दोनों तरफ से तमाम तरह की दलीलें दी गईं. आरोपी पक्ष की तरफ से कहा गया कि महिला ने झूठा केस किया है, जो कुछ भी हुआ है उसमें उसकी पूरी तरह सहमति थी. कोर्ट में कुछ सबूतों को रखकर ये बताया गया कि आरोप लगाने वाली महिला आरोपी से मिलने के लिए पुणे से दिल्ली आई थी. जिसके बाद उसने आरोपी के साथ होटल में चेकइन किया.
आरोपी पक्ष ने बताया कि महिला ने होटल में चेकइन करते हुए अपनी आईडी भी दी, जिसका मतलब है कि वो अपनी मर्जी से होटल रूम में गई थी और ये सेक्शुअल रिलेशनशिप के लिए था. साथ ही कोर्ट को ये भी बताया गया कि पहले भी दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने हैं.
कोर्ट ने दलीलों को किया खारिज
हालांकि कोर्ट ने शिकायत करने वाली महिला का बयान दर्ज किया, जिसमें कहा गया कि उस वक्त महिला विरोध नहीं कर सकती थी. क्योंकि अगर वो विरोध करती तो आरोपी के अग्रेसिव नेचर से उसे नुकसान पहुंचाया जा सकता था. उसे चोट लग सकती थी.
कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर दोनों के बीच पहले रिलेशनशिप था और दोनों सेक्शुअल बातचीत करते थे, तो इसका इंडियन एविडेंस एक्ट के सेक्शन 53ए में कोई मतलब नहीं है. इसी सेक्शन की बात को आगे बढ़ाते हुए कोर्ट ने कहा,
"अगर महिला ने अपने सबूत के तौर पर कोर्ट के सामने ये कहा कि जो कुछ भी हुआ उसमें उसकी सहमति नहीं थी, तो कोर्ट भी ये मानकर चलेगा कि उसकी कोई सहमति नहीं थी. ऐसी परिस्थितियों में इस स्तर पर किसी भी अनुमान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, हालांकि ये ट्रायल के वक्त होना चाहिए. लेकिन इस केस में आईओ ने अब तक जो भी सबूत इकट्ठा किए हैं और वॉट्सऐप-इंस्टाग्राम चैट ये बताने के लिए काफी हैं कि ये ऐसा केस नहीं है, जहां ऐसा अनुमान छूटा हुआ नजर आता है."
कोर्ट ने इन तमाम टिप्पणियों के साथ ही आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
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