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एक्शन में केजरीवाल सरकार,नौकरशाहों की तैनाती का अब होगा नया सिस्टम

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार एक्शन मोड में है.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार एक्शन मोड में है. बुधवार को फैसले के कुछ देर बाद ही सीएम केजरीवाल ने कैबिनेट की बैठक बुलाई और अफसरों को राशन की घरों पर आपूर्ति और सीसीटीवी कैमरे लगाने जैसी परियोजनाओं की रफ्तार तेज करने का निर्देश दिया.

दिल्ली सरकार ने नौकरशाहों के तबादलों और तैनातियों के लिए भी एक नयी प्रणाली बुधवार को शुरू की जिसके लिए मंजूरी देने का अधिकार मुख्यमंत्री केजरीवाल को दिया गया है. डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने करीब 8 मिनट तक चली मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार काम करने का निर्देश दिया गया है.

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हर फैसले को LG की मंजूरी की जरूरत नहीं: केजरीवाल

सिसोदिया ने कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच सत्ता संघर्ष पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद AAP सरकार को अपने हर फैसले को उपराज्यपाल अनिल बैजल से मंजूर कराने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता लेकिन यह भी कहा कि उपराज्यपाल को स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार नहीं है.

केजरीवाल ने बैठक के बाद ट्वीट किया, ‘‘ दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कामकाज करें. अब राशन की घरों पर आपूर्ति और सीसीटीवी लगाने के प्रस्तावों पर भी तेजी लाने का निर्देश दिया है. ''

नौकरशाहरों की तैनाती का नया सिस्टम

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार ने नौकरशाहों के तबादलों और तैनातियों के लिए भी एक नयी प्रणाली बुधवार को शुरू की जिसके लिए मंजूरी देने का अधिकार मुख्यमंत्री केजरीवाल को दिया गया है. अभी तक IAS और दानिक्स (दिल्ली , अंडमान निकोबार द्वीपसमूह सिविल सेवा) अधिकारियों के तबादलों और तैनातियों के लिए मंजूरी देने का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहा है.

हालांकि, दिल्ली सरकार में कार्यरत वरिष्ठ नौकरशाहों ने दावा किया कि ‘ सेवा संबंधी मामले ' अब भी उपराज्यपाल के कार्यालय के अधिकार क्षेत्र में आते हैं क्योंकि दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश है. एक बड़े अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट की नियमित पीठ कई मुद्दों पर आखिरी फैसला करेगी. एक और अधिकारी ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय की मई , 2015 के नोटिफिकेशन को रद्द नहीं किया है जिसके मुताबिक सेवा संबंधी मामले उपराज्यपाल के अधीन आते हैं.

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