भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) पर सवाल उठाए हैं. हाई कोर्ट ने मामले में आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को मुंबई ट्रांसफर करने पर को सवालों के घेरे में रखा.
हाईकोर्ट ने कहा कि NIA ने गौतम नवलखा को दिल्ली से मुंबई ले जाने में बेवजह जल्दी दिखाई है.
नवलखा की न्यायिक हिरासत बढ़ाने की NIA की मांग पर हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच जस्टिस अनूप भंभानी ने एप्लीकेशन के पूरे रिकॉर्ड्स पेश करने के लिए कहा. इस केस में गौतम नवलखा की तरफ से नित्या रामकृष्णनन पैरवी कर रही थीं.
इसके पहले NIA कोर्ट में 23 मई को सुनवाई हुई थी जिसमें गौतम नवलखा की न्यायिक हिरासत को 22 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया था. नवलखा ने बीते महीने NIA के सामने समर्पण कर दिया था.
भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़कने के बाद पुणे पुलिस ने कई नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को UAPA कानून के सख्त प्रावधानों के तहत आरोपी बनाया गया है. इन पर माओवादियों के साथ संबंध होने और सरकार को गिराने के आरोप लगे हैं.
पुलिस के मुताबिक, इन एक्टिविस्टों ने 31 दिसंबर 2017 को एल्गर परिषद बैठक में भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसकी वजह से अगले दिन हिंसा भड़क गई थी. पुलिस ने इन्हें बैन माओवादी संगठन का सदस्य भी बताया. केस बाद में NIA को ट्रांसफर कर दिया गया.
नवलखा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत दी थी, जब उनकी गिरफ्तारी से पहले की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी. हाई कोर्ट के याचिका खारिज करने के बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. 17 मार्च 2020 को कोर्ट ने इनकी याचिका खारिज कर दी और तीन हफ्ते में सरेंडर करने को कहा. 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने 1 हफ्ते का समय और दिया था.
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