FIR 59 दिल्ली दंगों की कथित साजिश की जांच से संबंधित है और इसके तहत दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने अब JNU के छात्र शरजील इमाम को गिरफ्तार किया है. दिल्ली पुलिस ने जिन लोगों से पूछताछ की है, अगर उनकी बात पर विश्वास किया जाए तो 8 दिसंबर 2019 को दिल्ली में हुई एक मीटिंग पर खास ध्यान दिया जा रहा है.
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने जिन लोगों से पूछताछ की है, उनमें से कुछ से क्विंट ने बात की. हमें पता चला कि पुलिस ये सबूत और केस बनाने की कोशिश कर रही है कि इसी मीटिंग में 'जिम्मेदारी तय हुई थी और दंगों की साजिश रची गई.'
याद रखा जाए कि दिल्ली पुलिस की सभी चार्जशीट में क्रोनोलॉजी का एक अलग सेक्शन है. ये सेक्शन फरवरी 2020 को हुई हिंसा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि 13 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई हिंसा भी शामिल है. शरजील इमाम की गिरफ्तारी पुलिस के इसी नैरेटिव के मुताबिक है क्योंकि इमाम दंगे शुरू होने से एक महीने पहले जनवरी अंत से ही जेल में था.
पुलिस को FIR 59 के तहत चार्जशीट 17 सितंबर की डेडलाइन तक दायर करनी है. ये चार्जशीट के लिए पुलिस को मिला दूसरा एक्सटेंशन है. पहला एक्सटेंशन 17 अगस्त तक पटियाला हाउस कोर्ट जज ने दिया था. दूसरा एक्सटेंशन 17 सितंबर तक कड़कड़ड़ूमा कोर्ट जज ने दिया था.
8 दिसंबर की मीटिंग में क्या हुआ?
8 दिसंबर के आसपास नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पास नहीं हुआ था और ये बिल (CAB) ही था. ये 9 दिसंबर को लोकसभा, 11 दिसंबर को राज्यसभा से पास हुआ और 13 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस पर साइन किए. इस मीटिंग से एक दिन पहले 7 दिसंबर को जंतर मंतर पर यूनाइटेड अगेंस्ट हेट ने एंटी-CAB प्रदर्शन आयोजित किया था.
8 दिसंबर की मीटिंग इसलिए रखी गई थी क्योंकि एक दिन पहले के प्रदर्शन में कम लोग आए थे. सिविल सोसाइटी के लोगों ने मिलने का तय किया और प्रदर्शन में ज्यादा लोगों को लाने पर चर्चा की.
मीटिंग जंगपुरा की एक इमारत में रखी गई थी. शरजील इमाम के अलावा 10 और लोग भी इस मीटिंग में मौजूद थे.
क्विंट ने मीटिंग में मौजूद रहे कम से कम पांच लोगों से बात की और पता चला कि इस मीटिंग में कुछ खास नहीं हुआ था. हालांकि, एक मुद्दे पर बहस हुई थी- कि क्या प्रदर्शनों को मुस्लिम आंदोलन समझा जाए या नहीं. इमाम का विचार था कि क्योंकि CAB मुस्लिमों के साथ पक्षपात करता है, इसलिए ये मुस्लिम प्रदर्शन होने चाहिए. लेकिन मीटिंग में मौजूद और लोगों ने कहा कि ये सच नहीं है और प्रदर्शनों को सेक्युलर होना चाहिए क्योंकि ये कानून की संवैधानिक वैधता से संबंधित है.
मीटिंग में कोई बड़ा फैसला नहीं हुआ और शायद इसकी वजह ये मतभेद था. वहां मौजूद रहे लोगों ने बताया कि इस बातचीत के अलावा इमाम ज्यादातर चुप ही रहा. सभी लोगों ने कहा था कि वो संपर्क में रहेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
शरजील इमाम के खिलाफ केस: जामिया हिंसा और अब FIR 59
दिल्ली पुलिस ने 25 जनवरी को JNU छात्र शरजील इमाम पर FIR दर्ज की थी. इमाम के खिलाफ धारा 124 ए, 153ए और 505 के तहत मामला दर्ज किया गया. इमाम पर राजद्रोह एक भाषण देने के बाद लगाया गया था, जिसमें उन्होंने कथित रूप से असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों को बाकी के भारत से 'अलग कर देने' की बात कही थी.
इमाम को बिहार से 28 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था और 29 अप्रैल को UAPA लगा दिया गया. FIR 59 के तहत इमाम की गिरफ्तारी उन पर UAPA दूसरी बार लगाया जाना है.
26 अगस्त को शरजील को पहले चार दिन और फिर तीन दिन के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा गया. 3 सितंबर को कस्टडी खत्म होने के बाद इमाम को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
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