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दिल्ली में राशन होम डिलीवरी पर केंद्र की आपत्तियों में कितना दम?

जरूरतमंदों को घर तक राशन पहुंचाना चाहती है दिल्ली सरकार, केंद्र ने क्यों रोकी योजना?

Published
भारत
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जब पिज्जा की होम डिलीवरी हो सकती है तो गरीबों को राशन की होम डिलीवरी क्यों नहीं हो सकती?... दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ये कहना है. राशन की डोर स्टेप डिलीवरी को लेकर अब एक बार फिर दिल्ली सरकार और केंद्र आमने-सामने है. दिल्ली सरकार काफी पहले से इस योजना को राजधानी में लागू करना चाहती है, लेकिन अब "सरकार" बन चुके उपराज्यपाल फाइल को पास नहीं कर रहे हैं. जिसके चलते इस योजना के लागू होने पर ब्रेक लगा है.

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अब हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों अपने-अपने तर्क दे रहे हैं. राशन की डोर स्टेप डिलीवरी को रोकने को लेकर बीजेपी के अपने तर्क हैं, वहीं दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी का कहना है कि, बीजेपी राशन माफिया के साथ मिलकर इस योजना को लागू नहीं होने दे रही है. आइए इस पूरे मामले को समझते हैं और जानते हैं कि किसके तर्कों में कितना दम है.

दिल्ली सरकार की तरफ से जरूरतमंदों को मिलने वाले राशन की डोर स्टेप डिलीवरी की बात की गई. केजरीवाल सरकार ने इसे लेकर पूरी योजना तैयार की और बताया कि गेहूं की जगह पिसा हुआ आटा लोगों के घरों तक पहुंचाने का काम करेंगे. लेकिन इसके लिए फाइल जब एलजी के पास पहुंची तो, एलजी ने मंजूरी देने से साफ इनकार कर दिया. इस लेकर तर्क दिया गया कि योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार की इजाजत नहीं ली गई.
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राशन माफिया का शिकार हो रही जनता- केजरीवाल

अब एक बार फिर फाइल एलजी के पास रुकने के बाद दिल्ली सरकार केंद्र पर हमलावर हो गई. दिल्ली सरकार का कहना है कि गरीबों के लिए क्रांतिकारी योजना को केंद्र सरकार ने जानबूझकर रोक दिया है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा,

“गरीबों को उनका राशन नहीं मिलता था. उनका राशन चोरी हो जाता था. तब हमने गरीबों तक राशन पहुंचाने के लिए लड़ाई लड़ी और हम पर 7 बार बार हमले किए गए. पिछले 75 साल से जनता राशन माफिया की शिकार हो रही है. अगले हफ्ते से दिल्ली में घर-घर राशन की स्कीम शुरू होनी थी. यह क्रांतिकारी योजना थी लेकिन केंद्र सरकार ने यह योजना रुकवा दी है. हमारी स्कीम यह कहकर खारिज की गई है कि हमनें केंद्र सरकार से इस योजना के लिए मंजूरी नहीं ली. लेकिन यह गलत है एक नहीं 5 बार केंद्र सरकार से इस योजना के लिए मंजूरी मांगी है.”
अरविंद केजरीवाल
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दिल्ली सरकार लोगों से वसूलेगी पैसे- पात्रा

गरीब जनता के लिए फायदेमंद इस योजना को रोके जाने को लेकर केंद्र पर लगातार आरोपों की झड़ी लग गई. सोशल मीडिया पर भी उपराज्यपाल और केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठने लगे तो बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा सामने आए. जहां उन्होंने बताया कि, अगर दिल्ली को अपनी तरफ से राशन बांटना है तो वो अलग से खरीद सकती है. लेकिन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के जरिए राजधानी में मिलने वाले राशन की डोर स्टेप डिलीवरी नहीं कर सकते हैं.

पात्रा का कहना था कि,अरविंद केजरीवाल सरकार एनएफएसए अधिनियम के तहत गेहूं पर केवल दो रुपये प्रति किलो और केंद्र सरकार 23.7 रुपये प्रति किलो का भुगतान करती है, जबकि चावल पर केजरीवाल सरकार केवल तीन रुपये प्रति किलो और केंद्र 33.79 रुपये प्रति किलो देता है. साथ ही बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि, दिल्ली सरकार की ये योजना एक घोटाला है, क्योंकि इस योजना के तहत लोगों से गेहूं का आटा लेने के लिए पैसे लिए जाएंगे.
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एक्स्ट्रा चार्ज पर सिसोदिया ने दिया जवाब

अब संबित पात्रा के पैसे लेने के आरोप का जवाब एक बार फिर दिल्ली सरकार की तरफ से दिया गया. इस बार सामने आए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, जिन्होंने बताया कि केंद्र ने ही ये आदेश जारी किया है. सिसोदिया ने कहा,

"संबित पात्रा ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार राशन पर एक्स्ट्रा चार्ज लगाकर कमाई करना चाहती है. लेकिन वो भूल गए कि केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार ने ये आर्डर निकाल रखा है कि यदि राज्य सरकारें लोगों को मिलने वाला पीडीएस राशन में गेंहू को पीस कर उपलब्ध करवाती है तो इसके लिए राज्य सरकारें 3 रुपये चार्ज कर सकती है. हरियाणा सरकार भी लोगों को राशन की जगह आटा देती है और 3 रुपये चार्ज करती है. लेकिन दिल्ली सरकार इसके लिए केवल 2 रुपये चार्ज करेगी और पिसे हुए आटे को लोगों के घरों तक डिलीवर करेगी."

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लोगों को सुविधाएं देने पर जमकर राजनीति

अब तक आप पूरी कहानी को समझ ही गए होंगे कि कैसे गरीबों तक राशन पहुंचाने को लेकर राजनीति चल रही है. दिल्ली और केंद्र सरकार क्रेडिट को लेकर एक दूसरे से लड़ रहे हैं. पिछली तमाम योजनाओं में भी यही देखा गया, जब लोगों से जुड़े मुद्दों पर दिल्ली में राजनीति हुई है.

केंद्र सरकार को इस योजना को लेकर ये आपत्ति है कि, जब हम राशन का ज्यादा खर्च उठा रहे हैं तो दिल्ली सरकार इसकी डोर स्टेप डिलीवरी कैसे कर सकती है. क्योंकि कुछ भी कहें, ये योजना लोगों के लिए एक बड़ी राहत की तरह है, अगर ये लागू होती है तो इसमें केंद्र सरकार को अपना नुकसान नजर आ रहा है.

वहीं दिल्ली सरकार ने भी क्रेडिट लेने की पूरी योजना बनाई थी और इस योजना का नाम "मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना" रखा. हालांकि केंद्र की आपत्ति के बाद दिल्ली सरकार ने इससे मुख्यमंत्री हटाकर "घर घर राशन योजना" करने का फैसला किया है. लेकिन इसके बावजूद बीजेपी की केंद्र सरकार को फिलहाल ये फायदे का सौदा नजर नहीं आ रहा है. इसीलिए गरीब और जरूरतमंद लोगों को फिलहाल घर पर राशन नहीं मिलेगा.

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नए एनसीटी बिल के बाद एलजी ही सरकार

नए एनसीटी बिल के लागू होने के बाद वैसे भी अब दिल्ली में सरकार का मतलब उपराज्यपाल हैं. इसके बाद एलजी को ज्यादा शक्तियां मिल गई हैं. यानी अब दिल्ली सरकार की योजनाओं को लेकर ऐसे विवाद आगे भी देखने को मिल सकते हैं. जनता को जिन योजनाओं से फायदा मिलेगा, उन्हें पहले राजनीति के तराजू से होकर गुजरना होगा. अगर तराजू में भार थोड़ा भी इधर-उधर होता है तो जनता की इस योजना को वहीं रोक दिया जाएगा. कुल मिलाकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच क्रेडिट लेने की इस होड़ में राजधानी के गरीब और आम लोग ही पिसने वाले हैं.

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केंद्र ने पहले भी रोकी डोर स्टेप डिलीवरी

डोर स्टेप डिलीवरी का एक ऐसा ही मामला कुछ साल पहले भी सामने आया था, तब भी इस योजना को लेकर जमकर राजनीति हुई. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने कुछ साल पहले कई सरकारी सुविधाओं की डोर स्टेप डिलीवरी की योजना बनाई थी. इस योजना को जब एलजी के पास भेजा गया तो वहां फाइल को मंजूरी नहीं मिली. एलजी ने इस योजना को लेकर कई आपत्तियां जताईं और इसे मंजूर करने से इनकार कर दिया. केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच लंबी खींचतान के बाद 40 से ज्यादा सेवाओं की डोर स्टेप डिलीवरी की इस योजना को हरी झंडी मिली. जिसका इस्तेमाल आज दिल्ली के लाखों लोग कर रहे हैं. इससे लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के अलावा बिचौलियों से भी छुटकारा मिला.

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