विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि जांच पक्षपातपूर्ण है और कई कार्यकर्ताओं और राजनेताओं को गलत तरीके से फंसाया गया है.
बैठक के बाद कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा, "एक निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और इस संबंध में हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है." द्रमुक नेता कनिमोझी ने कहा,
“दिल्ली दंगे को सीएए प्रदर्शन, नेताओं, एक्टिविस्ट से जोड़ा जा रहा है और आम लोगों व छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है.”
दिल्ली पुलिस ने बुधवार को कड़कड़डूमा कोर्ट में फरवरी दंगों के लेकर 15 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए हैं. रविवार को, मामले के संबंध में उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें 24 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है.
दिल्ली पुलिस पर कई सवाल
बता दें कि दिल्ली हिंसा की जांच को लेकर अब दिल्ली पुलिस भी सवालों के घेरे में है. कई बुद्धिजीवियों और पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने भी इस हिंसा की जांच पर सवाल खड़े किए हैं और इसे पक्षपातपूर्ण बताया है. आरोप लगाया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने सिर्फ सीएए का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है, जबकि अन्य लोगों को पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाया गया.
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