पुर्तगाल की कॉलोनी रहे केन्द्रशासित प्रदेश दीव के कलेक्टर इन दिनों 'अपराधमुक्त दीव' का तमगा दिलावाने के लिए जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं. वजह बड़ी दिलचस्प है. दीव की इकलौती जेल में इन दिनों केवल एक ही कैदी बंद है.
472 साल पुरानी इस जेल में तीस वर्षीय दीपक कांजी इकलौता कैदी है. उसे दूसरी जेल में ट्रांसफर करके जल्द ही इस ऐतिहासिक जेल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सौंप दिया जाएगा.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एएसआई इस जेल को एक पर्यटन स्थल में तब्दील करना चाहती है. ये जेल दीव किले का एक हिस्सा है. एक बार जब इसमें बंद कैदी कांजी के मामले की सुनवाई पूरी हो जाएगी, तो एएसआई इस जेल को अपने अधिकार में ले लेगी, चाहे वो बरी कर दिया या दोषी ठहराया जाए.
जेल पर हो रहा ज्यादा खर्च
गृह मंत्रालय के मुताबिक, दमन और दीव भारत के बाकी राज्यों की तुलना में अपने कैदियों पर ज्यादा खर्च करता है. ये आंकड़ा 32,000 रुपये प्रति कैदी है. एक कैदी के लिए दीव की जेल में पांच गार्ड, एक चपरासी और एक सहायक जेलर तैनात हैं. जाहिर है, इससे जेल में गैरजरूरी सरकारी पैसे खर्च हो रहे हैं.
इस जेल में आठ सेल हैं, जो 60 कैदियों को बंद रखने के लिहाज से बनाया गया था. इसमें 40 पुरुष और 20 महिला कैदियों के लिए जगह है.
क्विंट ने दीव के कलेक्टर हेमंत कुमार के साथ बात की. उन्होंने कहा कि यह समझने के लिए कि दीव अपराधमुक्त क्यों है, लोगों को इस केंद्र शासित प्रदेश में घूमने आना चाहिए.
“दीव जेल को लंबे वक्त पहले डिजाइन किया गया था और एक कैदी पर 32,000 रुपये से ज्यादा का खर्च आ रहा है. कुल खर्च हर महीने लाखों में जाता है, क्योंकि कैदी के लिए 5 गार्ड और एक सहायक नियुक्त हैं. यही वजह है कि हमने कैदी को अपने यहां लेने के लिए गुजरात की दूसरी जेलों से गुजारिश की है. फिलहाल बातचीत जारी है, लेकिन अदालत की अनुमति के बिना हम कैदी को दूसरी जेल में शिफ्ट नहीं कर सकते, क्योंकि वो अभी वो अंडर ट्रायल है. उम्मीद है मामला जुलाई के अंत तक या अगस्त के पहले हफ्ते तक निपट जाएगा.”-हेमंत कुमार, कलेक्टर, यूनियन टेरिटरी ऑफ दीव
जेल बनेगी हेरिटेज साइट
साल 2013 में एएसआई ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जेल को ऐतिहासिक धरोहर के तौर पर अपने अधीन लेने की गुजारिश की थी. उस दौरान जेल में दो महिला कैदियों समेत कुल सात कैदी थे. इन कैदियों में से चार को अमरेली जेल में ले जाया गया, जो दीव से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित है. दो कैदियों ने अपनी सजा पूरी कर ली. तब से यहां केवल दीपक कांजी ही इकलौता कैदी बचा है. अपनी पत्नी को जहर देने के मामले में दीव सेशन कोर्ट में उसकी सुनवाई जारी है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इस बात पर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि इस पुराने जेल को हमेशा से जेल के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाता था या नहीं. पुर्तगालियों द्वारा बनाए गए इस परिसर में एक बेकरी और एक रसोईघर भी मौजूद है. खाली पड़े से बंद रहते हैं. किले में पर्यटकों को जाने के अनुमति है, लेकिन जेल परिसर में नहीं. एक बार जब जेल एएसआई के अधिकार में आ जाएगा तो वहां ‘लाइट एंड साउंड’ शो शुरू करने की योजना भी योजना है.
टीवी पर दूरदर्शन और शाम की सैर
रिपोर्ट के मुताबिक, कांजी 20 लोगों के रहने के लिए बने एक सेल में रहता है. यहां वो टीवी पर दूरदर्शन और कुछ आध्यात्मिक चैनल देख सकता है. वह दिन के दौरान गुजराती अखबार और पत्रिकाओं को पढ़ता है. शाम 4 बजे से शाम 6 बजे के बीच गार्ड उसे टहलने के लिए बाहर ले जाते हैं. टहलने के दौरान, कांजी गार्ड के साथ अपने मामले की सुनवाई और अपने भविष्य पर चर्चा करता है.
सहायक जेलर चंद्रहास वाजा ने बताया कि चूंकि इस जेल में कांजी एकमात्र कैदी है, इसलिए जेल में सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जा सकता. किले के पास मौजूद एक रेस्तरां से उसके लिए खाना मंगवाया जाता है.
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