ADVERTISEMENTREMOVE AD

कफील खान जेल से रिहा, बोले - शुक्रिया जो STF ने एनकाउंटर नहीं किया

कोर्ट ने कफील खान पर लगे NSA को गैरकानूनी बताया.

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित प्रवक्ता डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया है. कफील खान नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ अलीगढ़ में कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत करीब सात महीने से मथुरा जेल में बंद थे.

कफील खान के वकील इरफान गाजी ने क्विंट को बताया कि मथुरा जेल प्रशासन ने रात करीब 10.30 बजे खबर दी कि डॉक्टर कफील को रिहा किया जा रहा है. उसके बाद रात करीब 11 बजे कफील खान को रिहा किया गया.

कफील खान ने जेल से छूटते ही क्या कहा?

कफील खान ने जेल से निकलने के बाद ज्यूडिशियरी का धन्यवाद किया, उन्होंने कहा, कोर्ट को धन्यवाद देना चाहते है, जिन्होंने इतना अच्छा फैसला सुनाया. इसी दौरान डॉक्टर कफील ने एसटीएफ पर तंज कसते हुए कहा कि धन्यवाद एसटीएफ का भी जिन्होंने मुंबई से मथुरा लाते समय एनकाउंटर नहीं किया.

उन्होंने कहा,

“उत्तर प्रदेश सरकार ने एक झूठा और बिना तथ्य के ड्रामा करके एक केस बनाया, और मुझे 7 महीने तक इस जेल में रखा. इस जेल में 5 दिन तक मुझे बिना खाना दिए बिना पानी दिए हुए प्रताड़ित किया गया.”
कफील खान
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोर्ट के फैसले के 12 घंटे बाद मिली रिहाई

सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर कफील खान पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA को हटाने का आदेश दिया साथ ही कफील खान को तुरंत रिहा करने का फैसला सुनाया था. लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के करीब 12 घंटे बाद डॉक्टर कफील खान मथुरा जेल से देर रात रिहा हो सके.

कफील खान के परिवार ने रिहाई में देरी पर नाराजगी जताई थी. कफील के भाई अदील ने क्विंट से बातचीत में कहा था कि कोर्ट से बेल मिलने के बाद भी मथुरा जेल अधिकारी रिहा नहीं कर रहे हैं. अदील के मुताबिक मथुरा जेल प्रशासन का कहना है कि वह जिलाधिकारी के आदेश को मानेंगे. जब तक जिलाधिकारी नहीं कहेंगे तब तक रिहाई नहीं होगी. इधर अलीगढ़ के जिला अधिकारी को फोन लगाया गया तो उनका कॉल डायवर्ट बता रहा है. लेकिन आखिरकार रात 11 बजे कफील खान को रिहा कर दिया गया.

कोर्ट ने कफील खान पर लगे NSA को गैरकानूनी बताया

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कफील खान पर फैसला सुनाते हुए कहा,

“हमें यह निष्कर्ष निकालने में कोई संकोच नहीं है कि नेशनल सिक्योरिटी एक्ट, 1980 के तहत डॉक्टर कफील खान को हिरासत में लेना और हिरासत को बढ़ाना कानून की नजर में सही नहीं है. कफील खान का भाषण सरकार की नीतियों का विरोध था. उनका बयान नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने वाला नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता का संदेश देने वाला था.”

डॉक्टर कफील खान पर नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 13 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने का आरोप ‌लगाया गया था. जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने कफील खान को 29 जनवरी को मुंबई से गिरफ्तार किया था.

हालांकि कफील खान को 10 फरवरी 2020 को ही जमानत मिल गई थी, लेकिन जमानत मिलने के 72 घंटे बाद भी उन्हें जेल प्रशासन ने रिहा नहीं किया. जिसके बाद परिवार के लोगों ने 13 फरवरी को अलीगढ़ में सीजेएम कोर्ट में कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट की अपील की. सीजेएम कोर्ट ने जेल प्रशासन को फटकार लगाते हुए तुरंत रिहाई के स्पेशल ऑर्डर जारी किए. लेकिन जेल प्रशासन ने फिर भी रिहा नहीं किया. और रिहाई से पहले ही उन पर NSA लगा दिया गया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×