उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी सरकार में हुए 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है. प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की जांच के सिलसिले में लखनऊ स्थित छह ठिकानों पर छापे मारे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये छापे इंजीनियर और ठेकेदारों के ठिकानों पर मारे गए हैं.
प्रवर्तन निदेशालय की अलग-अलग टीमों ने राजधानी लखनऊ के गोमती नगर, अलीगंज, हजरतगंज और शहीदपथ इलाके में छापेमार कार्रवाई की है.
लखनऊ समेत यूपी के कई शहरों में ED का छापा
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय ने मायावती सरकार के दौरान बने स्मारकों से जुड़े घोटाले के मामले में कार्रवाई की है. स्मारकों के निर्माण से जुड़ी फर्मों और निर्माण निगम इंजीनियरों समेत कई लोगों के ठिकाने खंगाले जा रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, लखनऊ के अलावा यूपी के दूसरे शहरों में भी ये कार्रवाई की गई है.
क्या है पूरा मामला?
- साल 2007 से लेकर 2012 के बीच मायावती सरकार ने लखनऊ और नोएडा में पार्क और स्मारक बनवाए थे
- इन स्मारकों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और पीडब्ल्यूडी ने करवाया था
- लोकायुक्त की जांच में करीब 1,410 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई थी
- स्मारकों में लगे गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मिर्जापुर से हुई थी, जबकि कागजों पर राजस्थान से दिखाई गई
- विजिलेंस ने 1 जनवरी साल 2014 को गोमती नगर थाने में दर्ज कराई थी FIR
- आईपीसी की धारा 120 बी और 409 के तहत केस दर्ज किया गया था
- नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी
लोकसभा चुनावों से पहले कसा शिकंजा
प्रवर्तन निदेशालय की इस कार्रवाई को चुनावों से जोड़कर भी देखा जा रहा है. हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय इस मामले की जांच काफी समय से कर रहा है. लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुई कार्रवाई पर संदेह जताया जा रहा है.
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने लखनऊ के रिवरफ्रंट घोटाले की जांच में छापेमारी की थी. इस मामले की जांच में समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं से पूछताछ भी हुई थी.
बता दें, आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन किया है.
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