एडिटर्स गिल्ड ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से उस एडवाइजरी को वापस लेने की मांग की है, जिसमें सभी निजी टीवी चैनलों से कहा गया था कि वे ऐसे कंटेंट दिखाने से परहेज करें जो हिंसा भड़का सकती है या ‘राष्ट्र विरोधी रवैये’ को बढ़ावा दे सकता है.
गिल्ड ने कहा- मीडिया की प्रतिबद्धता पर सवाल न उठाएं
गिल्ड ने कहा कि उसका मानना है कि देश में हो रही घटनाओं की जिम्मेदाराना कवरेज के लिए मीडिया की पूरी प्रतिबद्दता पर इस तरह की एडवाइजरी जारी कर सवाल नहीं उठाना चाहिए. इस हफ्ते के शुरू में मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी करके सभी निजी टीवी चैनलों से कहा था कि वे खास तौर पर ऐसे कंटेंट को प्रसारित करने के दौरन सतर्क रहें. इससे हिंसा भड़क सकती है और राष्ट्र विरोधी रवैया को बढ़ावा मिल सकता है. इससे देश की अखंडता भी प्रभावित हो सकती है.
गिल्ड ने एक बयान में कहा कि मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से रिपोर्ट करे. गिल्ड इस तरह के एडवाइजरी की निंदा करता है जो स्वतंत्र मीडिया के कामकाज में दखल देती हैं और अनुरोध करता है कि सरकार इसे वापस ले.
पूर्वोत्तर की हिंसा के कवरेज को लेकर जारी की थी एडवाइजरी
यह परामर्श संसद की ओर से बुधवार को नागरिकता (संशोधन) बिल को पारित करने के बाद पूर्वोत्तर में भड़के हिंसक प्रदर्शनों की तस्वीरें कुछ टीवी चैनलों के दिखाने के बाद जारी किया गया था.गिल्ड ने असम के समाचार चैनल प्राग न्यूज के कर्मचारियों के साथ पुलिस की ओर से हिंसा करने की भी निंदा की और घटना की जांच की मांग की.
संसद में नागरिकता संशोधन बिल पारित होने के बाद असम, बंगाल, पूर्वोत्तर के कई राज्यों समेत पूरे देश में हिंसा और प्रदर्शन भड़क उठी है. असम में हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे. हाल में पश्चिम बंगाल में भी हिंसा भड़क उठी है. इस बीच, सरकार की ओर से कहा गया है कि जरूरत पड़ी तो नागरिकता बिल में और संशोधन किए जा सकते हैं.
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