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डिप्रेशन में जान दे रहे लोग, दिल्ली मेट्रो से 5 महीने में 8 सुसाइड

केवल सितंबर में सुसाइड के 5 मामले सामने आए हैं

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दिल्ली मेट्रो स्टेशनों पर पिछले पांच महीने में सुसाइड के 8 मामले सामने आए हैं. इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि इसके लिए डिप्रेशन आम वजह है, जो लोगों को यह कदम उठाने के लिए मजबूर करता है.

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डॉक्टरों का कहना है कि कोई भी व्यक्ति बहादुरी से अवसाद से लड़ सकता है और समाज को इस बीमारी को हीन न मानकर, उनके ठीक होने में योगदान देना चाहिए.

उन्होंने लोगों से डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों की ओर मदद का हाथ बढ़ाने की अपील की.

केवल सितंबर में पांच मामले

मेट्रो स्टेशनों पर अप्रैल से अक्टूबर के बीच युवा से लेकर उम्रदराज लोगों के सुसाइड की कम से कम आठ घटनाएं सामने आईं. इनमें से पांच मामले अकेले सितंबर में दर्ज किए गए.

इसके अलावा अप्रैल से 9 अक्टूबर के बीच, 7 अन्य लोगों ने सुसाइड की कोशिश की, जिनमें से कुछ डिप्रेशन से जूझ रहे हैं.

बड़े शहरों में खालीपन डिप्रेशन की बड़ी वजह

विशेषज्ञों का कहना है कि महानगरों में तनावपूर्ण या एकाकी जीवन अक्सर किसी व्यक्ति को अवसादग्रस्त बना देता है, जिसके चलते वो अपना जीवन समाप्त करने की सोचने लगते हैं.

सर गंगाराम अस्पताल में सलाहकार मनोचिकित्सक डॉ राजीव मेहता ने पीटीआई-भाषा से कहा कि लोगों को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन है.

अगर कोई व्यक्ति अपनी जान लेना चाहता है तो वह ऐसे कदम उठाता है जो अधिक घातक हो और उसमें दर्द भी कम हो. ऐसी स्थिति में वो मेट्रो ट्रेन के आगे कूदने जैसे विकल्प अपनाता है, जिसकी गति लगभग तुरंत जान ले लेती है.
डॉ राजीव मेहता

10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर कई डॉक्टरों ने भी कहा कि कई लोग जान देने के लिए इसलिए मेट्रो के आगे कूदते हैं क्योंकि इससे ‘कम दर्द’ में उनकी जान निकल जाती है और ‘जिंदा बचने की संभावना भी लगभग नहीं रहती.’

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की वेबसाइट के अनुसार हर चालीस सेकेंड में एक व्यक्ति सुसाइड करता है. लिहाजा इस साल मानसिक स्वास्थ्य दिवस का थी ‘आत्महत्या रोकने के लिए मिलकर काम करें’ रखी गई.

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