जजों की नियुक्ति के सवाल पर कॉलेजियम और सरकार के बीच टकराव का एक और मामला सामने आया है. सरकार ने गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस अकील कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश लौटा दी है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की ओर से जस्टिस कुरैशी के नाम पर दोबारा विचार करने को कहा है.
इस बारे में एनडीटीवी ने रिपोर्ट छापी है.
इसे लेकर सरकार अब तक तीन बार कॉलेजियम की सिफारिश लौटा चुकी है. इससे पहले जस्टिस केएम जोसेफ और सीनियर वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम के मामले में भी सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश नामंजूर कर दी थी. जस्टिस कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने के मामले में सरकार ने कॉलेजियम से दोबारा विचार करने को कहा है.
चीफ जस्टिस गोगोई की बेंच कर रही है सुनवाई
इसके बाद 28 अगस्त को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने याचिका दायर कर सरकार पर जान-बूझकर जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति को रोकने का आरोप लगाया था.
एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार सिर्फ जस्टिस कुरैशी की ही नियुक्ति को रोक रही है, जबकि उनके साथ जिन जजों की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी, उन पर रोक नहीं लगाई गई है.
पिछले साल कॉलेजियम ने सरकार से उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की थी. लेकिन सरकार ने यह कहकर इनकार किया था कि सुप्रीम कोर्ट में अन्य राज्यों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. इस मामले में भी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के बीच टकराव पैदा हो गया था.
विपक्ष ने कहा था कि सरकार जान-बूझकर न्यायपालिका अपमान कर रही है, वह बदले की कार्रवाई पर उतारू है, क्योंकि जस्टिस जोसेफ ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ फैसला दिया था.
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