आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने शनिवार को भरोसा दिलाया कि चीन के साथ सीमा पर पूरी स्थिति काबू में है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''हम बातचीत का सिलसिला चला रहे हैं, जो कॉर्प्स कमांडर स्तर की बातचीत के साथ शुरू हुआ था.'' उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमारे बीच लगातार हो रही इस बातचीत से विवाद का समाधान निकलेगा.
हालिया विवाद शुरू होने की बात करें तो पूर्वी लद्दाख में 5 मई की शाम चीन और भारत के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जो अगले दिन भी जारी रही, जिसके बाद दोनों पक्ष अलग हुए. हालांकि, गतिरोध जारी रहा.
इसी तरह की घटना उत्तरी सिक्किम में नाकू ला दर्रे के पास 9 मई को भी हुई जिसमें भारत और चीन के सैनिक आपस में भिड़ गए. दोनों देशों के सैनिकों के बीच 2017 में डोकलाम में 73 दिन तक गतिरोध चला था.
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विवाद है.
नेपाल के साथ संबंधों को लेकर सेना प्रमुख ने कहा, ''हमारे नेपाल के साथ बहुत मजबूत संबंध हैं, हमारे भौगोलिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक जुड़ाव हैं. उनके साथ हमारे संबंध हमेशा मजबूत रहे हैं और भविष्य में भी मजबूत बने रहेंगे.''
सेना प्रमुख का यह बयान नेपाल की संसद में देश के नए नक्शे से संबंधित संविधान संशोधन बिल पर वोटिंग से पहले आया है. नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है. भारत इस पर कड़ी आपत्ति जता चुका है, उसने कहा है कि ये तीनों उसके हिस्से हैं.
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की स्थिति को लेकर जनरल नरवणे ने कहा, ''हमें पिछले 10-15 दिन में कई सफलता मिली हैं, 15 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए. ये सब हो सका क्योंकि जम्मू-कश्मीर में सभी सुरक्षाबलों के बीच सहयोग और समन्वय रहा. ज्यादातर ऑपरेशन स्थानीय लोगों से मिली सूचना पर आधारित थे.''
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