सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बी.एस चौहान की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच आयोग की नियुक्ति को मंजूरी दे दी और इसे दो महीने के अंदर अदालत और उत्तर प्रदेश सरकार को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा. आयोग के अन्य दो सदस्यों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत अग्रवाल और पूर्व पुलिस महानिदेशक के.एल. गुप्ता हैं. के -एल गुप्ता जांच की टीम में शामिल होने से पहले कुछ दिन पहले ही एक टीवी डिबेट में विकास के एनकाउंटर को सही ठहराते नजर आए थे.
जस्टिस बी.एस. चौहान और पूर्व पुलिस महानिदेशक के.एल. गुप्ता का नाम यूपी सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा था, जिसे कोर्ट ने मान लिया.
कौन हैं के.एल गुप्ता?
के एल गुप्ता उत्तर प्रदेश के तेज तर्रार अफसरों में से एक माने जाते हैं. पूर्व आईपीएस के.एल. गुप्ता 2 अप्रैल 1998 से 23 दिसंबर 1999 तक कल्याण सिंह की सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पद पर रहे थे. उत्तर प्रदेश में वे कई जिलों और मंडलों में पुलिस विभाग के ऊंची पोस्ट पर रहे हैं.
कुछ दिन पहले ही विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद एक टीवी डिबेट पर के एल गुप्ता नजर आए थे. इस शो में एनकाउंटर से जुड़े कई सवालों के जवाब देते नजर आए. विकास दुबे की गाड़ी के एक्सीडेंट पर जब एंकर ने सवाल पूछा तो के एल गुप्ता ने जवाब देते हुए कहा-
मैं आपको शुक्रिया अदा करना चाहूंगा कि आपकी टीम उज्जैन से विकास दुबे के साथ चली आई, उसके तो मां-बाप और भाई बहन भी इस तरह से उसके साथ नहीं आए होंगे. जिस तरह से आप लोग साथ-साथ चले. टोल बैरियर पर पुलिस की गाड़ी तो निकल जाती है. दूसरी गाड़ियों की चेकिंग में 10-मिनट लगते हैं, उसी में प्रेस वालों ने हंगामा करना शुरू कर दिया. हर चीज को आप निगेटिविटी से मत देखिए.
यहीं नहीं के.एल गुप्ता ने कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिस वालों की मौत का जिक्र करते हुए कहा-
जो आठ पुलिस वाले मरे थे उनके लिए आपने क्या किया? क्या आपने उनके घर जाकर देखा कि उनके घरवाले भूखे मर रहे हैं या क्या कर रहे हैं. विकास दुबे के घर कारबाइन कहां से आई, उसने अपने घर में फैक्ट्री बना रखी थी, उसकी आपने तफ्तीश की.
के.एल गुप्ता ने विकास दुबे की गाड़ी बदलने की थ्योरी पर कहा था कि आपलोग घर चीज पर डाउट क्यों करते हैं, अरे सरप्राइज एलिमेंट के लिए गाड़ी भी बदल दी जाती है. हाइवे पर रोज गाड़ी पलटती है, लोगों का एक्सीडेंट होता है.
हालांकि एनकाउंटर की जांच का जिम्मा मिलने के बाद जब इंडियन एक्सप्रेस ने के एल गुप्ता से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि जब आप किसी जांच का हिस्सा बन जाते हैं, तो आपको कम बोलना चाहिए और काम पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए.
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