अटल बिहारी सरकार में जसवंत सिंह के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने रक्षा, वित्त और विदेश जैसे तीनों अहम मंत्रालय संभाले. जसवंत सिंह को अटल बिहारी का हनुमान कहा जाता है.
आज जसवंत सिंह का 82 साल की उम्र में निधन हो गया है. जसवंत सिंह लंबे वक्त से बीमार थे, पिछले 6 साल से वे कोमा में चल रहे थे. उनके बेटे मानवेंद्र बताते हैं इस बीच कभी-कभी वे आंखें खोलते, लेकिन कुछ बोल नहीं पाते थे. हाल में तबीयत और ज्यादा खराब होने के बाद उन्हें दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था.
जसवंत सिंह का जन्म 3 जनवरी 1938 को बाड़मेर के जसोल गांव में हुआ था. जसवंत सिंह 1960 के दशक में सेना में शामिल हो गए. उसके पहले उन्होंने मेयो कॉलेज और नेशनल डिफेंस एकेडमी, खड़कवासला से अपनी ट्रेनिंग की.
सबसे लंबे वक्त तक सांसद रहने वालों में से एक जसवंत
जसवंत सिंह सेना की नौकरी के बाद राजनीति में आ गए. हालांकि उन्हें शुरुआत में सफलता नहीं मिली. बाद में वे जनसंघ में शामिल हो गए. जसवंत सिंह सबसे लंबे वक्त तक सदन के सदस्य रहने वाले लोगों में से एक हैं.
1980 में जसवंत सिंह पहली बार राज्यसभा से संसद पहुंचे. इसके बाद 1986, 1998 और 2004 में भी वे राज्यसभा से सांसद बने. वहीं 1990, 1991, 1996 और 2009 में लोकसभा चुनाव जीतकर सदन का हिस्सा बने. कुल मिलाकर जसवंत सिंह 1980 से 2014 तक लगातार सांसद रहे.
जसवंत सिंह सबसे पहले अटल बिहारी की 13 दिन की सरकार में 1996 में वित्तमंत्री बने. बाद में 1998 में जब अटल बिहारी दोबारा प्रधानमंत्री बने, तो जसवंत सिंह को विदेश मंत्रालय की कमान सौंपी गई. जिसे वे 2002 के दिसंबर तक संभाले रहे. बीच में सन् 2000 से 2001 के बीच 22 महीनों के लिए उन्हें रक्षामंत्रालय का प्रभार भी मिल गया. 2002 से 2004 के बीच जसवंत सिंह को वित्तमंत्री बनाया गया.
जिन्ना की तारीफ के चलते BJP से निकाले गए
2009 में अपनी किताब में जिन्ना की तारीफ करने के चलते जसवंत सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया था. हालांकि बाद में उनका सस्पेंशन रद्द कर दिया गया. 2014 में जसवंत सिंह को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उन्होंने बीजेपी से अलग रास्ता अपना लिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा. लेकिन जसवंत सिंह कर्नल सोनाराम से बाड़मेर सीट से ही चुनाव हार गए.
पढ़ें ये भी: संडे व्यू:आमदनी कैसे हो दोगुनी,दिल्ली दंगों की कहानी पहले से तैयार
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)